Gangaur Teej 2025-2030 गणगौर
गणगौर पूजा विवाहिता महिलाओं का महत्वपूर्ण त्योहार
गणगौर, जिसे गौरी पूजा के नाम से भी जाना जाता है, देवी पार्वती की आराधना के लिए मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है। यह पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन राजस्थान में इसका खास महत्व है। यह रंगीन और उत्सवमय त्योहार विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए मनाया जाता है। “गणगौर” शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है ‘गण’ जो भगवान शिव को दर्शाता है, और ‘गौर’, जो देवी पार्वती का प्रतीक है। इस पर्व का गहरा संबंध प्रेम, वैवाहिक जीवन की सुख-शांति और समृद्धि से है।

गणगौर 2025 कब है
गणगौर 2025 में 31 मार्च, सोमवार को मनाया जाएगा। इस पर्व की तैयारियां और आयोजन विशेष रूप से राजस्थान में बड़े पैमाने पर होते हैं।
गणगौर क्यों मनाया जाता है
गणगौर का त्योहार हिंदू कैलेंडर के चैत्र महीने में मनाया जाता है, जो होली के बाद आता है। यह पर्व 18 दिनों तक चलता है, और इसे ठंड के अंत और वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है। इस दौरान महिलाएं देवी पार्वती की पूजा करती हैं और अपने परिवार की खुशहाली, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं। अविवाहित लड़कियां भी देवी पार्वती से अपने लिए अच्छे जीवनसाथी की कामना करती हैं।
गणगौर का धार्मिक महत्व
देवी पार्वती को हिंदू धर्म में साहस, प्रेम, और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। गणगौर के दौरान, विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और परिवार की समृद्धि के लिए देवी पार्वती की पूजा करती हैं। ऐसा माना जाता है कि जो महिलाएं पूरी श्रद्धा से यह पूजा करती हैं, उनके पति की लंबी उम्र होती है और उनके वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। इसी तरह, अविवाहित लड़कियों का विश्वास है कि यह पूजा उन्हें मनचाहा जीवनसाथी दिलाती है।
गणगौर का आयोजन कैसे होता है
गणगौर का त्योहार 18 दिनों तक चलता है, और इन दिनों के दौरान महिलाएं व्रत रखती हैं। वे दिन में सिर्फ एक बार भोजन करती हैं और देवी पार्वती की मिट्टी से बनी मूर्ति की पूजा करती हैं। महिलाएं इस पर्व के दौरान रंग-बिरंगे वस्त्र पहनती हैं और मेहंदी लगाकर देवी की आराधना करती हैं। आखिरी तीन दिनों में देवी पार्वती और भगवान शिव की सजी-धजी मूर्तियों को रंग-बिरंगे जुलूस में पूरे शहर में घुमाया जाता है। पर्व के अंत में, इन मूर्तियों को नदी या तालाब में विसर्जित किया जाता है।

प्रमुख राज्यों में उत्सव
गणगौर का त्योहार विशेष रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात में धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर राजस्थान में, इस दिन को लेकर विशेष उत्साह देखा जाता है। यहां महिलाओं के लिए यह पर्व बहुत महत्वपूर्ण होता है, और वे इसे पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाती हैं।
अविवाहित और विवाहित महिलाओं के लिए पर्व का महत्व
गणगौर न केवल विवाहित महिलाओं के लिए बल्कि अविवाहित लड़कियों के लिए भी विशेष पर्व है। विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और परिवार की समृद्धि के लिए देवी पार्वती से आशीर्वाद मांगती हैं, जबकि अविवाहित लड़कियां एक अच्छे जीवनसाथी की कामना के लिए यह पूजा करती हैं। यह पर्व महिलाओं के लिए एक साथ आने और अपने अनुभव साझा करने का भी एक अवसर होता है।
गणगौर 2025 का समय
- सूर्योदय: 31 मार्च, सुबह 6:23 बजे
- सूर्यास्त: 31 मार्च, शाम 6:38 बजे
- तृतीया तिथि: 31 मार्च सुबह 09:11 से 1 अप्रैल सुबह 05:42 तक
गणगौर पर्व कैसे मनाएं
इस पर्व को मनाने के लिए महिलाएं सज-धजकर देवी पार्वती की पूजा करती हैं। वे व्रत रखती हैं और मिट्टी से बनी मूर्ति की पूजा करती हैं। अंतिम दिन, जुलूस के रूप में देवी पार्वती और भगवान शिव की मूर्तियों को पूरे शहर में घुमाया जाता है। इस दिन महिलाएं पारंपरिक गाने गाती हैं और देवी पार्वती से आशीर्वाद मांगती हैं कि वह हर साल उनके घर आएं और सुख-समृद्धि लाएं।
अवकाश की स्थिति
भारत में गणगौर को आधिकारिक अवकाश नहीं माना गया है, लेकिन विशेष रूप से राजस्थान में इस दिन की वजह से व्यापार और कारोबार में थोड़ी मंदी आ जाती है। कई जगहों पर स्थानीय अवकाश घोषित किए जाते हैं, ताकि लोग इस त्योहार को धूमधाम से मना सकें।
आगामी वर्षों में गणगौर की तिथियां
- 2025: सोमवार, 31 मार्च
- 2026: शनिवार, 21 मार्च
- 2027: शुक्रवार, 9 अप्रैल
- 2028: बुधवार, 29 मार्च
- 2029: मंगलवार, 17 अप्रैल
- 2030: शनिवार, 6 अप्रैल
गणगौर का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसमें महिलाएं एकजुट होकर देवी पार्वती की पूजा करती हैं और अपने परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं।
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