Kalighat Temple Open West Bengal

Kalighat Temple Open West Bengal कालिघाट मंदिर, पश्चिम बंगाल |

Table of Contents

1: परिचय (Overview)

धार्मिक पर्यटन स्थलों का संक्षिप्त परिचय और उनकी महत्ता।

कालिघाट मंदिर, कोलकाता में स्थित, माँ काली को समर्पित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और देशभर से श्रद्धालु यहाँ आते हैं। माँ काली के इस प्राचीन मंदिर का महत्व आध्यात्मिक और ऐतिहासिक दोनों दृष्टियों से अत्यधिक है।

Kalighat Temple Open West Bengal
Kalighat Temple Open West Bengal

2: खुलने और बंद होने का समय व तिथियां (Open Close Timing and Dates)

इस धार्मिक स्थल के दर्शन के लिए सही समय और महत्वपूर्ण तिथियां।

समयखुलने का समयबंद होने का समय
सोमवार से रविवार12:00 PM3:00 PM
विशेष अवसरविभिन्न समय

महत्वपूर्ण तिथियों पर मंदिर में विशेष पूजा और अनुष्ठान होते हैं, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं

3: कहां है और वहाँ कैसे पहुँचे? (Location and How to Reach)

कालिघाट मंदिर, कोलकाता में स्थित है और वहाँ पहुँचने के कई साधन उपलब्ध हैं। आप कोलकाता रेलवे स्टेशन या हवाई अड्डे से टैक्सी या बस द्वारा यहाँ आसानी से पहुँच सकते हैं

4: इतिहास (History)

इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व और इससे जुड़ी रोचक कहानियां।

कालिघाट मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। माना जाता है कि यह मंदिर 15वीं सदी में स्थापित हुआ था। इस मंदिर का जिक्र तंत्र साहित्य में भी मिलता है। यहाँ की प्रमुख मूर्ति माँ काली की है, जिनका एक पैर राक्षस पर है और दूसरा हवा में। इस मूर्ति का विशिष्ट स्वरूप भक्तों को विशेष रूप से आकर्षित करता है। (Kalighat Temple Open West Bengal)

5: निर्माणकर्ता कौन हैं? (Created By)

कालिघाट मंदिर का निर्माण 1809 में भक्तों के सहयोग से किया गया था। इसका पुनर्निर्माण सन् 1809 में ब्रह्मानंद गिरी द्वारा किया गया था। मंदिर का वर्तमान स्वरूप 19वीं सदी में राजा जय नारायण घोष ने पूरा करवाया।

Kalighat Temple Open West Bengal
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6: इस स्थान के बारे में 5 प्रमुख जानकारियां (Top 5 Facts About the Same Place)

1. कालिघाट मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहाँ माता सती का दाहिना पैर गिरा था

कालिघाट मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जो हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र स्थल माने जाते हैं। यह शक्तिपीठ उस स्थल को दर्शाता है जहाँ देवी सती का दाहिना पैर गिरा था। इस मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने देवी सती के मृत शरीर को अपने कंधे पर उठाकर तांडव नृत्य किया था और उनके शरीर के अंग विभिन्न स्थानों पर गिरे थे। कालिघाट में उनके दाहिने पैर का गिरना एक महत्वपूर्ण घटना है और इस मंदिर को अत्यंत श्रद्धा के साथ देखा जाता है। हर साल यहाँ लाखों श्रद्धालु देवी के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं। (Kalighat Temple Open West Bengal)

2. यहाँ की प्रमुख मूर्ति माँ काली की है, जो विशेष रूप से आभायुक्त है

कालिघाट मंदिर में स्थापित मूर्ति माँ काली की है, जो अद्वितीय और विशेष है। यह मूर्ति देवी काली के रूप को दर्शाती है, जिसमें उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में कटे हुए सिर का प्रदर्शन किया गया है। इस मूर्ति का मुख स्वर्ण से बना है और इसके नेत्र बहुत ही तेजस्वी होते हैं, जो भक्तों को अत्यंत आकर्षित करते हैं। मूर्ति के इस विशेष रूप का दर्शन करके भक्तों को एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होता है। माँ काली की इस मूर्ति के दर्शन मात्र से ही लोगों के मन में श्रद्धा और भक्ति की भावना जाग्रत होती है। (Kalighat Temple Open West Bengal)

3. यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं

कालिघाट मंदिर देशभर के श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। हर साल यहाँ लाखों श्रद्धालु देवी माँ काली के दर्शन करने आते हैं। विशेष रूप से नवरात्रि और दुर्गापूजा के समय यहाँ भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है। इस समय मंदिर में विशेष पूजा और अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है, जिसमें श्रद्धालु उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं। इसके अलावा, यहाँ आने वाले भक्तों को मंदिर परिसर में विभिन्न धार्मिक गतिविधियों का अनुभव होता है, जैसे हवन, भजन, और कथा वाचन। (Kalighat Temple Open West Bengal)

4. इस मंदिर का उल्लेख कई पुराणों और तंत्र साहित्य में मिलता है

कालिघाट मंदिर का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों, पुराणों और तंत्र साहित्य में मिलता है। यह धार्मिक ग्रंथ इस स्थान की महत्ता और इसकी पवित्रता का वर्णन करते हैं। इन ग्रंथों में मंदिर की स्थापना, इसके ऐतिहासिक महत्व और यहाँ की धार्मिक गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। तंत्र साहित्य में इस मंदिर को तंत्र साधना के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान माना गया है। यह भी कहा जाता है कि यहाँ की तांत्रिक साधना से साधक को विशेष सिद्धियों की प्राप्ति होती है। (Kalighat Temple Open West Bengal)

5. मंदिर परिसर में हवन और भजन की नियमित व्यवस्था की जाती है

कालिघाट मंदिर परिसर में हवन और भजन की नियमित व्यवस्था की जाती है। यहाँ प्रतिदिन भक्तों के लिए हवन और भजन का आयोजन किया जाता है, जिसमें श्रद्धालु भाग लेकर अपने मन की शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करते हैं। मंदिर के भजन मंडली द्वारा गाए गए भजन भक्तों के मन को मोह लेते हैं और उन्हें आध्यात्मिक अनुभव कराते हैं। हवन और भजन के माध्यम से श्रद्धालु देवी माँ काली की कृपा प्राप्त करते हैं और अपने जीवन को सुकून और शांति से भरते हैं। (Kalighat Temple Open West Bengal)

7: यहां क्यों जाना चाहिए? (Why Should I Go Here?)

इस धार्मिक स्थल पर जाने के फायदे और इसे खास बनाने वाले कारण।

कालिघाट मंदिर जाने के अनेक फायदे हैं। यहाँ आपको आध्यात्मिक शांति और मानसिक संतोष की प्राप्ति होती है। मंदिर का अद्भुत वातावरण और भक्तों की आस्था यहाँ की विशेषता है। इसके अलावा, कोलकाता के अन्य पर्यटन स्थलों के साथ इसे भी देखा जा सकता है। (Kalighat Temple Open West Bengal)

8: इस स्थान के अन्य नाम (Other Names of the Same Place)

इस स्थान को किन-किन नामों से जाना जाता है?

कालिघाट मंदिर को स्थानीय लोग “काली माँ का मंदिर” और “काली मंदिर” के नाम से भी जानते हैं।

Kalighat Temple Open West Bengal
Kalighat Temple Open West Bengal

9: सारांश (Summary)

इस धार्मिक स्थल की पूरी जानकारी का सारांश। (Kalighat Temple Open West Bengal)

कालिघाट मंदिर, कोलकाता में स्थित, माँ काली को समर्पित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। इसका इतिहास, विशेष समय और पूजा-अर्चना की विधि, तथा इसके पीछे की कहानियाँ इस मंदिर को विशेष बनाती हैं। यहाँ जाना एक आध्यात्मिक यात्रा है, जो मन की शांति और आस्था को प्रबल बनाती है

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