Naraka Chaturdashi Dates 2024-2030 Guide

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नरक चतुर्दशी

नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है, दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है। यह पर्व हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है और इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का विशेष महत्व यमराज की पूजा और पापों से मुक्ति के साथ जुड़ा हुआ है। आइए जानते हैं आने वाले वर्षों में नरक चतुर्दशी कब मनाई जाएगी और इस दिन का महत्व क्या है।

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नरक चतुर्दशी की तिथियां (Narak Chaturdashi Dates 2024-2030)

  • नरक चतुर्दशी 2024: 1 नवंबर
  • नरक चतुर्दशी 2025: 21 अक्टूबर
  • नरक चतुर्दशी 2026: 9 नवंबर
  • नरक चतुर्दशी 2027: 30 अक्टूबर
  • नरक चतुर्दशी 2028: 18 अक्टूबर
  • नरक चतुर्दशी 2029: 6 नवंबर
  • नरक चतुर्दशी 2030: 26 अक्टूबर

हर साल यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन मुख्य रूप से भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध कर पृथ्वी को उसके अत्याचारों से मुक्त करने की कथा से जुड़ा हुआ है।

नरक चतुर्दशी का महत्व (Significance of Narak Chaturdashi)

नरक चतुर्दशी का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि यह सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी बहुत खास है। इस दिन स्नान करने के बाद नए वस्त्र धारण करना और यमराज की पूजा करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद नरक से बचा जा सकता है, ऐसा कहा जाता है। इसलिए इस दिन को ‘नरक से मुक्ति दिलाने वाला दिन’ भी कहा जाता है।

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पूजा विधि (Puja Vidhi)

  1. स्नान: इस दिन प्रातः काल जल्दी उठकर उबटन या तेल से स्नान करने की परंपरा है। इसे ‘अभ्यंग स्नान’ कहा जाता है, जो कि शरीर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
  2. दीप प्रज्वलन: शाम को घर के हर कोने में दीप जलाए जाते हैं, ताकि घर से अंधकार और नकारात्मकता दूर हो सके।
  3. यमराज पूजा: नरक चतुर्दशी के दिन यमराज की पूजा करने का विशेष महत्व है। यमराज को दीप और जल अर्पित करने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है।
  4. भोग और प्रसाद: भगवान को भोग अर्पित करने के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है। प्रसाद के रूप में मिठाई, फल और विशेष पकवान होते हैं।

धार्मिक कथा (Religious Story)

नरक चतुर्दशी की कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता से राक्षस नरकासुर का वध किया था। नरकासुर ने 16,000 कन्याओं को बंदी बना रखा था और धरती पर अत्याचार फैला रखा था। भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का अंत कर पृथ्वी को उसके आतंक से मुक्त किया। इसी घटना की स्मृति में नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व हमें यह सीख देता है कि चाहे कितनी भी बड़ी बुराई क्यों न हो, अंततः सच्चाई की जीत होती है।

इस दिन क्या करें (What to Do on This Day)

  • अभ्यंग स्नान करें: इस दिन सूर्योदय से पहले अभ्यंग स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। इससे न केवल शरीर को शुद्ध किया जाता है, बल्कि यह मानसिक शांति भी प्रदान करता है।
  • दीप जलाएं: दीप जलाना इस दिन का मुख्य कर्म है, जिससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
  • पापों से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें: इस दिन यमराज की पूजा करके अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति की प्रार्थना की जाती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

नरक चतुर्दशी का पर्व हमें जीवन में बुराईयों से लड़ने और सच्चाई की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। यह दिन हमें हमारे कर्मों का फल बताने और आध्यात्मिक रूप से प्रगति करने का अवसर प्रदान करता है। सही पूजा विधि और सच्ची श्रद्धा के साथ इस पर्व को मनाने से व्यक्ति को न केवल जीवन में शांति और सुख मिलता है, बल्कि मृत्यु के बाद भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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नरक चतुर्दशी का पर्व दिवाली के उत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें यह याद दिलाता है कि हर अंधकार के बाद उजाला अवश्य आता है। चाहे जीवन में कितनी भी चुनौतियाँ क्यों न हों, सच्चाई की राह पर चलते हुए अंत में विजय आपकी होगी।

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