गढ़कालिका देवी का जागृत स्वरूप: देवी सजीव रूप में विद्यमान हैं, जिनकी पूजा से इच्छाएं पूर्ण होती हैं और साधना सफल होती है।

कालिदास का संबंध: कवि कालिदास को देवी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ, जिसने उन्हें एक साधारण व्यक्ति से महान विद्वान बनाया।

प्राचीन सुरंगों का रहस्य: मंदिर के पास प्राचीन सुरंगें थीं, जो तांत्रिक अनुष्ठान और सुरक्षा के लिए उपयोग होती थीं।

तंत्र साधना का केंद्र: यह मंदिर तंत्र साधना और यज्ञ के लिए प्रसिद्ध है, विशेषकर अष्टमी और कालरात्रि के दिनों में।

शक्ति पीठ का महत्व: गढ़कालिका मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है, जहां देवी सती के होंठ गिरे थे।

नवरात्रि और खगोलशास्त्र: नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा और प्राचीन काल में खगोलशास्त्र का अध्ययन यहां किया जाता था।