त्रिवेणी संगम का अदृश्य प्रभाव: गंगा, यमुना, अदृश्य सरस्वती का मिलन आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र, स्नान से आस्था और आत्मा की शुद्धि संभव।
खगोलीय गणना की भूमिका: सूर्य, चंद्रमा, और बृहस्पति की स्थिति कुंभ मेला के आयोजन का समय तय करती है।
नागा साधु और शाही स्नान: नागा साधुओं का शाही स्नान, तप और त्याग का प्रदर्शन, कुंभ मेला का मुख्य आकर्षण।
कल्पवास का महत्व: कल्पवासी साधक मासभर तप, संयम और ध्यान का पालन करते हैं, जीवन में नवीनीकरण का अद्भुत प्रतीक।
ग्रहों की ऊर्जा और शुद्धिकरण: कुंभ मेला खगोलीय स्थिति पर आधारित, सूर्य-चंद्र ऊर्जा से शारीरिक और मानसिक शुद्धि संभव होती है।
सांस्कृतिक विविधता का उत्सव: अखाड़ों की पेशवाई, संतों का सान्निध्य, और अनुष्ठान कुंभ मेला को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर बनाते हैं।
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