समुद्र मंथन और अमृत कुंभ: अमृत बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक में गिरीं, ये स्थल पवित्र माने जाते हैं।
सांस्कृतिक और सामाजिक संगम: कुंभ मेला भारतीय संस्कृति, सामाजिक विविधता, और परंपराओं का उत्सव है, जो एकता को दर्शाता है।
त्रिवेणी संगम की दिव्यता: गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम आत्मा शुद्धि, मोक्ष और आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है।
शाही स्नान का प्रभाव: नागा साधुओं का तप और साधना, शाही स्नान के दौरान दिव्यता और आत्मशुद्धि का अनुभव कराती है।
खगोलीय गणना का महत्व: कुंभ मेला सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की स्थिति पर आधारित, ब्रह्मांडीय ऊर्जा का समय है।
महा कुंभ 2025 की विशिष्टता: प्रयागराज का महा कुंभ, 144 वर्षों में एक बार, अद्वितीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव देगा।
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