त्रिवेणी संगम का महत्व: गंगा, यमुना, अदृश्य सरस्वती का संगम ऊर्जा और आत्मा शुद्धि का स्रोत, आस्था का अद्वितीय केंद्र है।

खगोलीय गणना का आधार: कुंभ मेला सूर्य, चंद्रमा, और बृहस्पति की स्थिति पर आधारित; ज्योतिष इसे ब्रह्मांडीय ऊर्जा का समय बनाता है।

नागा साधु का शाही स्नान: समाज से अलग रहने वाले नागा साधु दिव्यता और तपस्या का प्रतीक, शाही स्नान में पहली बार आते हैं।

कल्पवास की तपस्या: "कल्पवास" में साधक ध्यान, संयम, और तपस्या से आत्मा और जीवन को पुनर्जीवित करते, यह कुंभ मेला की विशिष्ट परंपरा है।

धार्मिक और सांस्कृतिक समृद्धि: कुंभ मेला धार्मिकता, अखाड़ों की पेशवाई, और लाखों तीर्थयात्रियों का अद्वितीय संगम, भारतीय संस्कृति की विरासत है।

महत्वपूर्ण तिथियां (2025): मकर संक्रांति (14 जनवरी), मौनी अमावस्या (29 जनवरी), बसंत पंचमी (3 फरवरी), महाशिवरात्रि (26 फरवरी)।