भोजपुर मंदिर का विशाल शिवलिंग 18 फीट ऊंचा और 7.5 फीट चौड़ा है, इसे भारत का सबसे बड़ा शिवलिंग माना जाता है।

अधूरी निर्माण कथा के अनुसार, राजा भोज के जीवन की बाधाओं के कारण मंदिर अधूरा रह गया, लेकिन इसके वास्तुकला की सुंदरता अनोखी है।

प्राचीन वास्तुकला में पत्थर की नक्काशी और खंभों का अद्भुत निर्माण, बिना किसी आधार के यह मंदिर भारतीय इंजीनियरिंग का उदाहरण है।

राजा भोज का सपना था कि भोजपुर मंदिर धार्मिक और खगोलशास्त्र का केंद्र बने, इसे उनकी महानता का प्रतीक माना जाता है।

गुप्त सुरंगों और तांत्रिक अनुष्ठानों से जुड़ी कहानियाँ, मंदिर की विशेष ऊर्जा साधकों को अद्भुत शक्तियां प्रदान करती हैं।

बेतवा नदी का पवित्र जल शिवलिंग पर चढ़ाना, मंदिर को आध्यात्मिक लाभ देता है, खासकर नवरात्रि और महाशिवरात्रि के दौरान।