2024-2030 Dev Uthani Ekadashi Dates and Rituals
देव उठनी एकादशी 2024 से 2030: जानें तिथियां, महत्व और पूजन विधि
देव उठनी एकादशी जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखती है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं और सृष्टि का संचालन पुनः प्रारंभ करते हैं। यह एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आती है, जिसे दीपावली के ठीक बाद मनाया जाता है। आइए जानते हैं देव उठनी एकादशी 2024 से 2030 तक की तिथियां, इसका महत्व और पूजन विधि।
देव उठनी एकादशी क्या है? (Dev Uthani Ekadashi Kya Hai)
हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं, जिसे देवशयनी एकादशी कहते हैं। चार महीने बाद, कार्तिक शुक्ल एकादशी पर भगवान विष्णु पुनः जागते हैं, और इसे देव उठनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन के बाद सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि शुरू किए जाते हैं।
देव उठनी एकादशी का महत्व (Dev Uthani Ekadashi Ka Mahatva)
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, देव उठनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। इस व्रत का पालन करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, और सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत भक्ति और श्रद्धा से किया जाता है, और इसे करने वाले को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
देव उठनी एकादशी तिथियां (Dev Uthani Ekadashi 2024-2030 Tak Ki Tithiyan)
यहां देव उठनी एकादशी की तिथियां दी गई हैं ताकि आप आने वाले वर्षों में इसे सही समय पर मना सकें:
- देव उठनी एकादशी 2024 – 10 नवंबर
- देव उठनी एकादशी 2025 – 29 अक्टूबर
- देव उठनी एकादशी 2026 – 18 नवंबर
- देव उठनी एकादशी 2027 – 8 नवंबर
- देव उठनी एकादशी 2028 – 27 अक्टूबर
- देव उठनी एकादशी 2029 – 15 नवंबर
- देव उठनी एकादशी 2030 – 4 नवंबर
देव उठनी एकादशी की पूजन विधि (Dev Uthani Ekadashi Ki Pujan Vidhi)
इस दिन श्रद्धालु सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। तुलसी के पौधे के पास दीप जलाना शुभ माना जाता है। पूजा में भगवान विष्णु को फूल, माला, धूप, दीप और भोग अर्पित किया जाता है। इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है, जो कि विशेष रूप से मंगलकारी माना जाता है।
- प्रातःकाल स्नान – इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की पूजा – शुद्ध आसन पर बैठकर भगवान विष्णु का ध्यान करें।
- तुलसी पूजा – तुलसी के पौधे के पास दीप जलाकर भगवान विष्णु और तुलसी का विवाह किया जाता है।
- आरती और भजन – पूजा के अंत में भगवान की आरती और भजन गाएं। इससे मन को शांति मिलती है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
देव उठनी एकादशी व्रत कथा (Dev Uthani Ekadashi Vrat Katha)
पुराणों में इस व्रत से जुड़ी कई कथाएं मिलती हैं। एक कथा के अनुसार, एक समय राजा रुक्मांगद ने इस व्रत का पालन किया, जिससे उन्हें भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिला। इसी प्रकार, अनेक भक्तों ने इस व्रत को करके अपने जीवन में आध्यात्मिक प्रगति प्राप्त की है।
तुलसी विवाह का महत्व (Tulsi Vivah Ka Mahatva)
देव उठनी एकादशी के दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह किया जाता है। तुलसी को माता लक्ष्मी का अवतार माना गया है, और इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन विशेष लाभकारी माना जाता है। यह विवाह भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के मिलन का प्रतीक है, और इसके आयोजन से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
देव उठनी एकादशी का आध्यात्मिक लाभ (Dev Uthani Ekadashi Ka Adhyatmik Labh)
इस व्रत से आध्यात्मिक लाभ होते हैं। व्यक्ति के मन में शांति और संतोष की भावना उत्पन्न होती है। धार्मिक दृष्टि से यह दिन आत्मा की शुद्धि के लिए विशेष माना गया है। इसे करने वाले भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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