7 Key Facts About Parivartini Ekadashi 2024-2030
परिवर्तिनी एकादशी 2024-2030: तिथि, महत्व और व्रत विधि
परिवर्तिनी एकादशी, जिसे पार्श्व एकादशी या वामन एकादशी भी कहा जाता है, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह एकादशी भगवान विष्णु के शयनकाल के दौरान आती है, और इस दिन भगवान वामन रूप में परिवर्तन करते हैं। इसे हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र और फलदायी माना गया है।
परिवर्तिनी एकादशी का महत्व
इस एकादशी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और व्रत के लिए समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह व्रत सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति में सहायक माना जाता है।
भगवान विष्णु इस दिन शेषनाग पर शयन करते हुए अपने करवट बदलते हैं, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन राजा बलि को भगवान वामन ने अपने तीन पगों में सम्पूर्ण ब्रह्मांड दान के रूप में लेकर पाताल लोक भेजा था।
2024 से 2030 के लिए शुभ मुहूर्त और सुझाव
इस एकादशी को मनाने का सही तरीका है कि व्रत को पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ किया जाए। सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत का संकल्प लें और शाम को भगवान की आरती करके प्रसाद ग्रहण करें।
परिवर्तिनी एकादशी की तिथियां 2024-2030
आइए, आगामी वर्षों में परिवर्तिनी एकादशी की तिथियों की जानकारी प्राप्त करें:
- 2024: 15 सितंबर, रविवार
- 2025: 4 सितंबर, गुरुवार
- 2026: 24 अगस्त, सोमवार
- 2027: 13 सितंबर, सोमवार
- 2028: 1 सितंबर, शुक्रवार
- 2029: 21 अगस्त, मंगलवार
- 2030: 10 सितंबर, मंगलवार
व्रत और पूजा विधि
- स्नान और संकल्प:
इस दिन प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु के समक्ष दीप जलाकर व्रत का आरंभ करें। - भगवान विष्णु की पूजा:
भगवान वामन की मूर्ति या तस्वीर के सामने पूजा करें। उन्हें पुष्प, फल, तिलक और मिठाई अर्पित करें। श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। - एकादशी व्रत का पालन:
इस दिन निराहार या फलाहार व्रत रखने का विशेष महत्व है। यदि स्वास्थ्य ठीक न हो, तो सात्विक भोजन करें। - जागरण का महत्व:
रात्रि में भगवान विष्णु की कथाओं का पाठ करें और भजन-कीर्तन करें। - दान-पुण्य:
इस दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान देना शुभ माना जाता है।
परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा बलि ने भगवान विष्णु से वरदान में तीन पग भूमि मांगने का आग्रह किया। भगवान वामन रूप धारण कर उनके अहंकार को समाप्त करने के लिए पहले दो पगों में धरती और आकाश को नाप लिया और तीसरे पग में राजा बलि का सिर रखा। इस प्रकार, भगवान वामन ने उन्हें पाताल लोक का राजा बनाया।
परिवर्तिनी एकादशी के लाभ
- यह व्रत सभी प्रकार के पापों का नाश करता है।
- व्रतधारी को परिवार में सुख और शांति प्राप्त होती है।
- आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है और समृद्धि बढ़ती है।
- मोक्ष प्राप्ति के लिए यह एकादशी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
व्रत में किन बातों का ध्यान रखें?
- व्रत के दिन अन्न ग्रहण न करें। केवल फलाहार और जल का सेवन करें।
- क्रोध, झूठ, और नकारात्मक विचारों से बचें।
- दूसरों की मदद करें और दान-पुण्य करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक जीवन जीएं।
विशेष सावधानियां
- व्रत के दौरान क्रोध, अहंकार और छल-कपट से बचें।
- सात्विक और शुद्ध आहार ग्रहण करें।
- भगवान विष्णु के प्रति पूर्ण भक्ति और श्रद्धा रखें।
निष्कर्ष
परिवर्तिनी एकादशी न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह दिन हमें संयम, श्रद्धा और भक्ति का संदेश देता है। यदि आप इस व्रत को पूरे विधि-विधान और समर्पण के साथ करते हैं, तो भगवान विष्णु की कृपा अवश्य प्राप्त होगी। 2024 से 2030 तक की तिथियों को ध्यान में रखकर आप अपनी पूजा की योजना बना सकते हैं। इस व्रत से जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है। 7 Key Facts About Parivartini Ekadashi 2024-2030
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7 Key Facts About Parivartini Ekadashi 2024-2030 | 7 Key Facts About Parivartini Ekadashi 2024-2030