Basant Panchami festival 2025
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वसंत पंचमी 2025 वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा
वसंत पंचमी 2025 एक रंगीन और हर्षोल्लास से भरा त्योहार है, जिसे भारत में हिंदू और सिख समुदाय द्वारा मनाया जाता है। इसे हिंदी में “बसंत पंचमी” के नाम से भी जाना जाता है। “वसंत” का अर्थ है वसंत ऋतु और “पंचमी” का मतलब होता है पांचवां दिन। इस दिन वसंत ऋतु के आगमन की खुशी में वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है। वसंत पंचमी होली और होलिका दहन की तैयारियों की शुरुआत का प्रतीक भी है, जो इस त्योहार के 40 दिन बाद होता है।
वसंत पंचमी 2025 कब है
हिंदू पंचांग के अनुसार, वसंत पंचमी 2025 माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को पड़ेगी। हर साल, यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक ही तिथि पर आता है। वसंत पंचमी तिथि उस समय शुरू होती है जब प्रातः काल के समय पंचमी तिथि प्रभावी होती है। इसलिए, जब पंचमी तिथि सूर्योदय से दोपहर तक रहती है, तभी वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है।
वसंत पंचमी सरस्वती पूजा विधि
वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा की जाती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें। शुभ मुहूर्त देखकर सरस्वती पूजा का आयोजन करें।
माँ सरस्वती की मूर्ति को पूजा स्थल पर रखें या मंदिर में जाएं। माँ सरस्वती को पीले चंदन और पीले फूल अर्पित करें। पूजा घर में वाद्य यंत्र और पुस्तकें रखें और देवी सरस्वती की विधिवत पूजा करें। पीले चावल या पीले रंग की मिठाई देवी को प्रसाद के रूप में चढ़ाएं। पूजा समाप्त होने के बाद पुस्तकों के साथ-साथ प्रसाद का वितरण करें।
वसंत पंचमी की कथा
वसंत पंचमी का महत्व ज्ञान और विद्या से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन ज्ञान की देवी माँ सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन माँ सरस्वती की पूजा की जाती है। इसके अलावा, इस दिन कामदेव और रति की कथा भी जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, भगवान शिव ने कामदेव को उनकी गलतियों के कारण भस्म कर दिया था। रति ने 40 दिनों तक कठोर तपस्या की, जिसके बाद वसंत पंचमी के दिन भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और कामदेव को जीवनदान दिया। इसलिए इस दिन को प्रेम और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है।
क्या वसंत पंचमी शुभ होती है
हिंदू ज्योतिष के अनुसार, वसंत पंचमी को “अभुज” दिन माना जाता है, यानी यह दिन किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ होता है। इस दिन शिक्षा की शुरुआत के लिए ‘अक्षराभ्यास’ या ‘विद्यारंभ’ संस्कार का आयोजन किया जाता है। यह संस्कार मुख्य रूप से दक्षिण भारत के राज्यों में मनाया जाता है।
वसंत पंचमी 2025 उत्सव
वसंत पंचमी के अवसर पर अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न रीति-रिवाजों के साथ इस रंगीन पर्व का जश्न मनाया जाता है। अधिकांश लोग माँ सरस्वती की पूजा करते हैं। देवी सरस्वती को ज्ञान और सृजनात्मकता की देवी माना जाता है, और ऐसा माना जाता है कि इस दिन सरस्वती पूजा करने वाले भक्तों को ज्ञान और सृजन की शक्ति प्राप्त होती है। पीला रंग माँ सरस्वती का प्रिय रंग माना जाता है, इसलिए इस दिन लोग पीले वस्त्र पहनते हैं और पीले रंग के व्यंजन बनाते हैं।
इस दिन कई माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ाई में प्रोत्साहित करते हैं, उन्हें पहला अक्षर लिखवाते हैं और शिक्षा की ओर प्रेरित करते हैं। इसे ‘अक्षरारंभ’ या ‘विद्यारंभ’ संस्कार के रूप में जाना जाता है। इस अवसर पर कई शैक्षणिक संस्थानों में भी माँ सरस्वती की मूर्ति को पीले कपड़ों से सजाया जाता है और शिक्षकों एवं छात्रों द्वारा सरस्वती स्तोत्र का पाठ किया जाता है।
अन्य क्षेत्रीय परंपराएं
कुछ स्थानों पर इस दिन प्रेम के देवता कामदेव और उनकी पत्नी रति की पूजा की जाती है। राजस्थान में लोग चमेली की माला पहनते हैं। महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में नवविवाहित जोड़े पीले वस्त्र पहनकर मंदिर में जाते हैं और पूजा करते हैं। पंजाब में यह त्योहार वसंत ऋतु के स्वागत के रूप में मनाया जाता है। वहां लोग पीली पगड़ी और पीले कपड़े पहनते हैं और पतंगबाजी करते हैं।
वसंत पंचमी भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अनोखे तरीकों से मनाई जाती है, जो इस पर्व को और भी खास बनाती है।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥२॥
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