Dhanteras festival 2024
धनतेरस का त्योहार
धनतेरस 2024 दीपों के त्योहार दिवाली की शुरुआत का प्रतीक है। इसे धन त्रयोदशी या धनवंतरि त्रयोदशी भी कहा जाता है। “धन” का अर्थ धन-दौलत होता है और “तेरस” या “त्रयोदशी” का अर्थ तेरह, क्योंकि यह कार्तिक मास के तेरहवें दिन मनाया जाता है। इस दिन भारत में हिंदू श्रद्धापूर्वक देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, जो धन, समृद्धि, वैभव और सुख-शांति के लिए की जाती है। पारंपरिक रूप से इस दिन भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती थी, जो आयुर्वेद के जनक और देवताओं के वैद्य माने जाते हैं, उन्हें उत्तम स्वास्थ्य और कल्याण के लिए पूजा जाता था, लेकिन अब यह धन और समृद्धि का त्योहार बन गया है।
धनतेरस का महत्व
धनतेरस को हिंदू कैलेंडर के सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है और इसे कभी-कभी धन का त्योहार भी कहा जाता है। इस दिन लोग सोना, चांदी और अन्य कीमती आभूषण खरीदते हैं, जो देवी लक्ष्मी को घर लाने का प्रतीक माना जाता है। यह मान्यता है कि धनतेरस के दिन समुद्र मंथन हुआ था और उस मंथन से “अमृत” या अमृतकलश निकला था। देवी लक्ष्मी और भगवान धनवंतरि समुद्र से अमृत का कलश लेकर निकले, जो लंबी और स्वस्थ आयु का प्रतीक है।
धनतेरस पूजा से जुड़ी एक और कहानी राजा हिम के 16 वर्षीय पुत्र की है। उसकी कुंडली के अनुसार, उसकी मृत्यु उसकी शादी के चौथे दिन सांप के काटने से होनी थी। उस दिन उसकी पत्नी ने अपने सारे चमकदार आभूषण, सोने-चांदी के सिक्के और अन्य गहनों को एक ढेर के रूप में उनके शयनकक्ष के द्वार पर रख दिया और कमरे को दीयों से रोशन कर दिया, ताकि उसके पति को सोने से रोका जा सके। उसने रातभर उसे गाने सुनाए और कहानियाँ सुनाईं ताकि वह जागता रहे। जब यमराज सांप के रूप में उनके द्वार पर आए, तो वे आभूषणों की चमक और रोशनी से चकित हो गए और अगले दिन बिना कुछ किए ही लौट गए। इस प्रकार राजा के पुत्र की जान बच गई। इसलिए यह दिन धनतेरस के रूप में मनाया जाता है।
अगले दिन को “यमदीपदान” या “नरक चतुर्दशी” के रूप में मनाया जाता है, जहां घर की महिलाएं हर कोने में दीए जलाती हैं और उन्हें पूरी रात जलाए रखती हैं। इसका उद्देश्य यमराज, मृत्यु के देवता, को सम्मान देना और अपने पति व परिवार के लिए स्वस्थ और समृद्ध जीवन की प्रार्थना करना है। इस दिन को कई जगहों पर “छोटी दिवाली” के नाम से भी जाना जाता है।
धनतेरस कैसे मनाएं
धनतेरस 2024 को भारत में बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। यह हिंदू त्योहार होने के बावजूद, अन्य समाजों द्वारा भी उतनी ही श्रद्धा से मनाया जाता है। इस दिन सोने-चांदी के गहने या सिक्के और बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है, क्योंकि इसे देवी लक्ष्मी को घर लाने का प्रतीक माना जाता है। यह विश्वास है कि धन त्रयोदशी के दिन किसी भी प्रकार की “धातु” खरीदना सौभाग्य का प्रतीक है।
धनतेरस पर लोग नए कपड़े खरीदते हैं, अपने घरों और दफ्तरों की सफाई करते हैं और उन्हें दीपों, लालटेन, रंगोली, दीयों और देवी लक्ष्मी के चरण चिन्हों से सजाते हैं। “लक्ष्मी पूजा” या “धनतेरस पूजा” शाम को की जाती है, जिसमें दीए जलाए जाते हैं ताकि नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं को घर और दफ्तर से दूर रखा जा सके। पूजा के बाद भजनों और देवी लक्ष्मी के लिए अन्य भक्ति गीतों का गायन होता है। महाराष्ट्र में देवी लक्ष्मी को गुड़ और धनिये के बीज से बनी मिठाई “नैवेद्य” का प्रसाद चढ़ाया जाता है, जबकि भारत के अन्य हिस्सों में पारंपरिक मिठाइयाँ चढ़ाई जाती हैं। गांवों में लोग अपने पशुओं की भी पूजा करते हैं, क्योंकि वे उनकी आय का मुख्य स्रोत होते हैं।
इस प्रकार धनतेरस को धन, स्वास्थ्य और खुशहाली का त्योहार माना जाता है, जो दिवाली के बड़े उत्सव की शुरुआत करता है।
धनतेरस पूजा विधि
धनतेरस की पूजा विधि सरल और शुभ मानी जाती है। इसे करने के लिए आप निम्नलिखित विधि का पालन कर सकते हैं:
सामग्री:
दीपक, रुई और घी/तेल
पूजा की थाली
चावल, हल्दी, कुमकुम
फूल और मिठाई
जल का पात्र
चांदी या सोने का सिक्का (यदि उपलब्ध हो)
लक्ष्मी जी और धन्वंतरि भगवान की प्रतिमा या तस्वीर
नया बर्तन (धनतेरस पर खरीदने की मान्यता है)
पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर)
दीपावली के लिए खरीदी गई नई चीजें, जैसे बर्तन या आभूषण
पूजा विधि:
- स्नान और शुद्धिकरण: धनतेरस के दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर और पूजा स्थल को साफ करें और उसे गंगाजल से शुद्ध करें।
- दीप प्रज्वलन: संध्या के समय घर के मुख्य द्वार और घर के हर कोने में दीपक जलाएं। मुख्य द्वार पर दीप जलाना विशेष शुभ माना जाता है।
- भगवान धन्वंतरि की पूजा: भगवान धन्वंतरि की पूजा करें, जो आरोग्य और आयुर्वेद के देवता माने जाते हैं। उनके चित्र या प्रतिमा के सामने दीप जलाएं और फूल, चावल, कुमकुम अर्पित करें।
- लक्ष्मी पूजन: लक्ष्मी जी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं। लक्ष्मी जी को फूल, चावल, कुमकुम, मिठाई और सिक्के अर्पित करें। उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं, और इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराएं।
- नया बर्तन या आभूषण: जो नया बर्तन या आभूषण खरीदा हो, उसे लक्ष्मी पूजन के दौरान लक्ष्मी जी के चरणों में रखें। इसे शुभ माना जाता है कि यह चीजें मां लक्ष्मी के आशीर्वाद से संपन्न हो रही हैं।
- धूप-दीप से आरती: पूजा समाप्त होने के बाद लक्ष्मी जी और धन्वंतरि भगवान की आरती करें। सभी परिवारजन एक साथ मिलकर आरती गाएं और पूजा स्थल के चारों ओर परिक्रमा करें।
- भोग लगाना: अंत में लक्ष्मी जी को भोग अर्पित करें। घर के सभी सदस्यों में प्रसाद का वितरण करें।
विशेष ध्यान:
इस दिन सोने-चांदी के आभूषण या बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है।
घर में धन का सही उपयोग और सदुपयोग का संकल्प करें।
इस प्रकार, धनतेरस की पूजा करने से घर में धन और समृद्धि का वास होता है और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ
धनतेरस का यह पावन पर्व आपके जीवन में सुख, समृद्धि और आरोग्य लेकर आए।
मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की कृपा से आपके घर में धन, धान्य और खुशहाली का वास हो।
आपके जीवन में उन्नति के सभी मार्ग प्रशस्त हों और हर दिन मंगलमय हो।
शुभ धनतेरस
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