How to Observe Putrada Ekadashi 2024-2030

How to Observe Putrada Ekadashi 2024-2030

पुत्रदा एकादशी 2024 से 2030: महत्व, तिथि और व्रत विधि

पुत्रदा एकादशी का महत्व

पुत्रदा एकादशी का हिंदू धर्म में अत्यंत महत्व है। यह एकादशी साल में दो बार आती है पहली पौष शुक्ल पक्ष में और दूसरी श्रावण शुक्ल पक्ष में। यह व्रत विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए शुभ माना जाता है जो संतान सुख की प्राप्ति की कामना करते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से निःसंतान दंपतियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।

How to Observe Putrada Ekadashi 2024-2030
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पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्व और फल

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पुत्रदा एकादशी व्रत का पालन करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। व्रत रखने वाले व्यक्ति को पूरे दिन निराहार रहकर भगवान का ध्यान करना चाहिए।

पुत्रदा एकादशी व्रत का लाभ

  1. संतान प्राप्ति का वरदान: इस व्रत को करने से वे दंपत्ति संतान सुख प्राप्त कर सकते हैं जिन्हें संतान नहीं हो रही हो।
  2. संतान की सुरक्षा: इस व्रत के फलस्वरूप माता-पिता अपनी संतान की दीर्घायु और समृद्धि की कामना करते हैं।
  3. धार्मिक लाभ: पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को अपने पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पुत्रदा एकादशी की तिथियां (2024-2030)

  • 2024:
    पौष मास पुत्रदा एकादशी: 9 जनवरी
    श्रावण मास पुत्रदा एकादशी: 17 अगस्त
  • 2025:
    पौष मास पुत्रदा एकादशी: 28 दिसंबर 2024 (उदयातिथि अनुसार)
    श्रावण मास पुत्रदा एकादशी: 6 अगस्त
  • 2026:
    पौष मास पुत्रदा एकादशी: 17 जनवरी
    श्रावण मास पुत्रदा एकादशी: 26 जुलाई
  • 2027:
    पौष मास पुत्रदा एकादशी: 6 जनवरी
    श्रावण मास पुत्रदा एकादशी: 15 अगस्त
  • 2028:
    पौष मास पुत्रदा एकादशी: 25 दिसंबर 2027
    श्रावण मास पुत्रदा एकादशी: 4 अगस्त
  • 2029:
    पौष मास पुत्रदा एकादशी: 13 जनवरी
    श्रावण मास पुत्रदा एकादशी: 23 जुलाई
  • 2030:
    पौष मास पुत्रदा एकादशी: 3 जनवरी
    श्रावण मास पुत्रदा एकादशी: 12 अगस्त
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व्रत रखने की विधि

  1. स्नान और संकल्प: व्रत की शुरुआत प्रातः स्नान के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेने से करें।
  2. पूजा विधान: भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र पर फूल, दीप, धूप, और तुलसी दल अर्पित करें।
  3. भगवद गीता का पाठ: इस दिन भगवद गीता और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना शुभ होता है।
  4. दान-पुण्य: जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।

व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

  • व्रत के दिन अन्न का सेवन न करें। केवल फल, दूध या जल ग्रहण करें।
  • व्रत का पालन पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करें।
  • क्रोध, द्वेष और नकारात्मक विचारों से बचें।
  • रात को जागरण करते हुए भगवान विष्णु की भक्ति में समय बिताएं।

पुत्रदा एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, महिष्मती नगरी के राजा सुकेतुमान और रानी शैव्या संतान सुख से वंचित थे। संतान न होने के कारण वे हमेशा दुःखी रहते थे। एक दिन वे वन में जाकर भगवान विष्णु की आराधना करने लगे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर ऋषि-मुनियों ने उन्हें पुत्रदा एकादशी व्रत करने का परामर्श दिया। व्रत के प्रभाव से उन्हें एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई।

पुत्रदा एकादशी व्रत का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

धार्मिक मान्यता के अलावा, एकादशी व्रत के वैज्ञानिक लाभ भी हैं। उपवास करने से शरीर डिटॉक्स होता है और मानसिक शांति मिलती है। धार्मिक पूजा से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

व्रत नियम

  • इस दिन अन्न का सेवन नहीं किया जाता।
  • व्रतधारी को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहकर भगवान विष्णु की आराधना करें।
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उपसंहार

पुत्रदा एकादशी व्रत केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और मानसिक शुद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और संतान सुख की प्राप्ति होती है। यदि आप भी संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं या अपने परिवार की भलाई चाहते हैं, तो पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य रखें

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