Jyeshtha Amavasya Dates 2024-2030

Jyeshtha Amavasya Dates 2024-2030

ज्येष्ठ अमावस्या 2024 से 2030: तिथियां, महत्व और पूजा विधि

ज्येष्ठ अमावस्या का परिचय
हिन्दू पंचांग में अमावस्या का विशेष महत्व है, और जब यह ज्येष्ठ माह में आती है, तो इसे ज्येष्ठ अमावस्या कहा जाता है। यह दिन धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पितरों की शांति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा और तर्पण किया जाता है। साथ ही, यह दिन दान और स्नान के लिए भी शुभ माना जाता है।

Jyeshtha Amavasya Dates 2024-2030
Jyeshtha Amavasya Dates 2024-2030

ज्येष्ठ अमावस्या की तिथियां (2024 से 2030)

आइए जानते हैं आने वाले वर्षों में ज्येष्ठ अमावस्या कब-कब पड़ेगी:

  • ज्येष्ठ अमावस्या 2024: 8 जून, शनिवार
  • ज्येष्ठ अमावस्या 2025: 28 मई, बुधवार
  • ज्येष्ठ अमावस्या 2026: 16 जून, मंगलवार
  • ज्येष्ठ अमावस्या 2027: 6 जून, रविवार
  • ज्येष्ठ अमावस्या 2028: 25 मई, गुरुवार
  • ज्येष्ठ अमावस्या 2029: 13 जून, बुधवार
  • ज्येष्ठ अमावस्या 2030: 3 जून, सोमवार

ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व

  1. पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने का दिन:
    इस दिन तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान जैसे कर्मकांडों के माध्यम से पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है। इसे करने से परिवार में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।
  2. धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व:
    ज्येष्ठ अमावस्या पर गंगा स्नान या किसी पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। इससे न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक शुद्धि भी होती है।
  3. दान का महत्व:
    इस दिन अनाज, वस्त्र, जूते और छाते का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि दान से हमारे जीवन के कष्ट कम होते हैं।

पूजन विधि और उपाय

ज्येष्ठ अमावस्या पर पूजन के लिए प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। यदि संभव हो, तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें। गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करें। साथ ही, जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और जल दान करें।

  1. पितृ तर्पण: पितरों को जल अर्पित करें। इसे तर्पण कहते हैं।
  2. दान-पुण्य: गरीबों को भोजन, वस्त्र, और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करें।
  3. जल संरक्षण: ज्येष्ठ माह में गर्मी अधिक होने के कारण जल का महत्व बढ़ जाता है। इस दिन जल स्रोतों को स्वच्छ रखने का संकल्प लें।

ज्येष्ठ अमावस्या पर क्या करें?

  • स्नान और ध्यान:
    सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी, कुंड या तालाब में स्नान करें। अगर यह संभव न हो, तो घर पर ही स्नान करते समय गंगाजल का उपयोग करें।
  • तर्पण और पिंडदान:
    अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करें। इसे करने से उनकी कृपा परिवार पर बनी रहती है।
  • भगवान विष्णु और शिव की पूजा:
    इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।
  • दान:
    जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, जल, छाता और चप्पल दान करें।

ज्येष्ठ अमावस्या पर ध्यान देने योग्य बातें

  • इस दिन क्रोध और विवाद से बचें।
  • किसी भी तरह के अनैतिक कार्य न करें।
  • पूजा-पाठ और ध्यान के समय एकाग्रता बनाए रखें।

ज्येष्ठ अमावस्या से जुड़ी पौराणिक कथाएं

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन पितरों की आत्मा पृथ्वी पर आती है और तर्पण के माध्यम से संतुष्ट होती है। माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन पितरों का सम्मान करता है, उसे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

ज्येष्ठ अमावस्या और पर्यावरण

ज्येष्ठ अमावस्या का दिन केवल आध्यात्मिक महत्व तक सीमित नहीं है। यह दिन हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रेरित करता है। वृक्षारोपण और जल संरक्षण जैसे कार्यों का आरंभ करने के लिए यह दिन अत्यंत उपयुक्त है।

Jyeshtha Amavasya Dates 2024-2030

निष्कर्ष

ज्येष्ठ अमावस्या एक ऐसा दिन है जो हमें आध्यात्मिकता, पितृ भक्ति और प्रकृति से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है। पितरों की शांति के लिए पूजा, ध्यान और दान जैसे कार्य इस दिन को और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं। आने वाले वर्षों में इस दिन का पूरा लाभ उठाएं और इसे अपने जीवन में शुभता और समृद्धि लाने का माध्यम बनाएं। Jyeshtha Amavasya Dates 2024-2030

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