Navpatrika Puja 2024-2030 Rituals to Know
नवपत्रिका पूजा: महत्त्व, विधि, और तिथियां (2024 – 2030)
नवपत्रिका पूजा, जिसे दुर्गा पूजा के दौरान किया जाता है, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा और बिहार में लोकप्रिय है। यह पूजा नवरात्रि के समय होती है और माँ दुर्गा की शक्तियों को समर्पित होती है। इस पूजा में नौ प्रकार के पत्तों का विशेष महत्व होता है, जो नवदुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक होते हैं।
नवपत्रिका का अर्थ और महत्त्व
‘नवपत्रिका’ शब्द में ‘नव’ का अर्थ होता है ‘नौ’ और ‘पत्रिका’ का अर्थ होता है ‘पत्ते’। नवपत्रिका पूजा में नौ पवित्र पौधों के पत्तों का उपयोग होता है, जो विभिन्न देवी-देवताओं का प्रतीक माने जाते हैं। इन्हें केले के पत्तों से बांधकर देवी दुर्गा के रूप में पूजा जाता है। यह पूजा प्रकृति और देवी माँ के शक्तिशाली स्वरूप के प्रति आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है।
नवपत्रिका पूजा, शक्ति की देवी दुर्गा को प्रसन्न करने और अपने परिवार के लिए सुख, शांति और समृद्धि की कामना के लिए की जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह पूजा कृषि और प्राकृतिक संसाधनों से जुड़ी होती है, जहां यह अच्छी फसल और समृद्धि की प्रार्थना का एक माध्यम भी होती है।
नवपत्रिका के नौ पौधे
नवपत्रिका में जिन नौ पौधों का उपयोग किया जाता है, वे निम्नलिखित हैं:
- केला (प्लांटेन पेड़): भगवान विष्णु का प्रतीक
- कच्ची हल्दी: देवी दुर्गा का प्रतीक
- जायफल पेड़ (नूतन): देवी कार्तिकेय का प्रतीक
- धान: देवी लक्ष्मी का प्रतीक
- पान का पत्ता: देवी काली का प्रतीक
- अनार का पेड़: देवी राधा का प्रतीक
- अश्मंतक: देवी चंद्रघंटा का प्रतीक
- अरबी का पत्ता: देवी शोकाहारिणी का प्रतीक
- हल्दी: देवी दुर्गा का स्वरूप
नवपत्रिका पूजा विधि
नवपत्रिका पूजा दशमी के दिन होती है और इसे कलश स्थापन के साथ शुरू किया जाता है। सबसे पहले, पवित्र जल से कलश की स्थापना की जाती है, फिर उसमें नारियल और आम के पत्ते रखे जाते हैं। नवपत्रिका को केले के पेड़ से लपेटकर देवी दुर्गा के रूप में सजाया जाता है और उसे गंगा जल से स्नान कराया जाता है।
इसके बाद, भक्तजन विभिन्न प्रकार के फूल, फल और मिठाइयाँ अर्पित करते हैं। पूजा में मंत्रोच्चारण और दुर्गा सप्तशती का पाठ भी किया जाता है। विशेष रूप से, इस पूजा का उद्देश्य देवी दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करना होता है ताकि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे।
नवपत्रिका पूजा की तिथियां (2024 – 2030)
नवपत्रिका पूजा की तिथियां पंचांग और चंद्रमा की स्थिति के अनुसार बदलती रहती हैं। नीचे नवपत्रिका पूजा की प्रमुख तिथियां दी गई हैं:
- 2024: 10 अक्टूबर
- 2025: 29 सितंबर
- 2026: 18 अक्टूबर
- 2027: 8 अक्टूबर
- 2028: 27 सितंबर
- 2029: 16 अक्टूबर
- 2030: 5 अक्टूबर
नवपत्रिका पूजा का सांस्कृतिक महत्त्व
नवपत्रिका पूजा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व प्रकृति के प्रति हमारे प्रेम और सम्मान को दर्शाता है। इस पूजा में जिन पौधों का उपयोग होता है, वे हमारे जीवन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं और हमें यह सिखाते हैं कि प्रकृति और मानव जीवन एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
इसके अलावा, नवपत्रिका पूजा सामुदायिक भावना को बढ़ावा देती है। इस पूजा के माध्यम से लोग एक साथ आते हैं, मिल-जुलकर देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और सामूहिक रूप से समाज में एकता और भाईचारे का संदेश फैलाते हैं।
नवपत्रिका पूजा: आध्यात्मिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह पूजा देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की शक्ति का आह्वान करती है। पर्यावरणीय दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह पूजा पत्तियों के माध्यम से प्राकृतिक संपदाओं को सम्मान देती है। यह एक ऐसा अवसर है जब लोग प्रकृति और मानवता के बीच सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास करते हैं।
नवपत्रिका पूजा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और मानवीय जीवन के बीच संतुलन स्थापित करने का एक प्रतीक भी है।
निष्कर्ष
नवपत्रिका पूजा का महत्त्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है। यह पूजा हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने की शिक्षा देती है और समाज में एकता का संदेश देती है। नवपत्रिका पूजा के माध्यम से हम देवी दुर्गा से सुख, समृद्धि और शांति की कामना करते हैं। Navpatrika Puja 2024-2030 Rituals to Know
Table of Contents
Navpatrika Puja 2024-2030 Rituals to Know | Navpatrika Puja 2024-2030 Rituals to Know