Sharad Purnima Festival 2024

Sharad Purnima Festival 2024

शरद पूर्णिमा की पूजा विधि

शरद पूर्णिमा की पूजा विधि

शरद पूर्णिमा को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया गया है। इस दिन को ‘कोजागरी पूर्णिमा’ या ‘रास पूर्णिमा’ भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो भी जागकर पूजा करता है उसे धन-धान्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा की पूजा विधि:

  1. स्नान और शुद्धिकरण:

प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और पूजा के लिए आवश्यक सामग्रियों को एकत्रित करें।

  1. कलश स्थापना:

एक साफ चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर कलश स्थापना करें।

कलश में जल, आम के पत्ते और सुपारी डालें। इसके ऊपर नारियल रखें।

  1. मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा:

चौकी पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

फूल, धूप, दीप, चावल, रोली और मिठाई चढ़ाएं।

मां लक्ष्मी को कमल का फूल और श्रीफल अर्पित करें।

भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते चढ़ाएं।

  1. धन प्राप्ति के लिए मंत्र:

मां लक्ष्मी के मंत्र “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” का जाप 108 बार करें।

भगवान विष्णु के मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का भी जाप करें।

  1. चंद्रमा की पूजा:

शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व होता है। रात को चंद्रमा को अर्घ्य दें।

चांदी के पात्र में खीर बनाकर उसे चंद्रमा की रोशनी में रखें। इसे अगले दिन प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है, जो स्वास्थ्य और धन में वृद्धि करती है।

  1. रात्रि जागरण:

इस दिन मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए रात्रि जागरण करना शुभ माना जाता है। रातभर भजन-कीर्तन और धार्मिक गतिविधियों में शामिल रहें।

  1. दान-पुण्य:

शरद पूर्णिमा के दिन दान का विशेष महत्व है। गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।

  1. विशेष सावधानियां:

पूजा करते समय मन को शांत रखें और ध्यान लगाकर भगवान का स्मरण करें।

व्रत रखने वाले इस दिन फलाहार या केवल दूध का सेवन कर सकते हैं।

इस प्रकार आप शरद पूर्णिमा की पूजा कर सकते हैं और मां लक्ष्मी एवं भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार अश्विन मास (सितंबर/अक्टूबर) में मनाया जाता है। इसे कुमारा पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा, नवन्ना पूर्णिमा, अश्विन पूर्णिमा या कौमुदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी विशेष आनंद और प्रसन्नता लाती है। ‘शरद’ शब्द का अर्थ है ‘शरद ऋतु’। कई भारतीय राज्यों में इसे एक फसल उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।

शरद पूर्णिमा पूजा और महत्वपूर्ण समय

  • पूर्णिमा तिथि शुरू: 16 अक्टूबर 2024 को रात 08:40 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 17 अक्टूबर 2024 को शाम 04:55 बजे
  • चंद्रोदय का समय: 16 अक्टूबर 2024 को शाम 05:13 बजे

शरद पूर्णिमा का महत्व

इस दिन चंद्र देव की पूजा का विशेष महत्व होता है। अविवाहित महिलाएँ उत्तम वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं, और नवविवाहित महिलाएँ इस दिन से पूर्णिमा व्रत की शुरुआत करती हैं। भगवान कृष्ण को सोलह कलाओं से युक्त माना जाता है। इस दिन ब्रज क्षेत्र में इसे रास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है, और कहा जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ महा-रास किया था।

शरद पूर्णिमा की प्रमुख परंपराएँ

  1. महिलाएँ पूरे दिन व्रत रखती हैं और भोग बनाती हैं।
  2. चावल की खीर को चाँदनी में रात भर रखा जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि चाँद की किरणों में विशेष औषधीय गुण होते हैं।
  3. अगले दिन खीर को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
  4. भक्त पूरी रात जागरण करते हैं और धार्मिक गतिविधियों में संलग्न रहते हैं।
  5. गरीबों को भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुएँ दान करना शुभ माना जाता है।
  6. गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है, और भक्त ध्यान और पूजा करते हैं।

कोजागिरी लक्ष्मी पूजा

शरद पूर्णिमा या कोजागिरी पूर्णिमा के दिन पूर्वी भारत के कई हिस्सों में माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लक्ष्मी माँ को रात के समय जागते हुए पूजा करने वाले लोगों के घरों में आकर आशीर्वाद देने के लिए जाना जाता है।

कथा

एक बार एक किसान की तीन बेटियाँ थीं, जो पूर्णिमा का व्रत रखती थीं। सबसे छोटी बेटी आधा दिन ही व्रत करती थी, जिसके कारण उसका बेटा मर गया। लेकिन उसकी बड़ी बहन की भक्ति ने उसे पुनर्जीवित कर दिया। तभी से लोग कोजागिरी पूर्णिमा के महत्व को समझने लगे।

खीर को चाँदनी में रखने का कारण

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अमृत या औषधीय गुणों वाली किरणें छोड़ता है। इसलिए लोग खीर बनाकर उसे रात भर चाँदनी में रखते हैं और अगले दिन प्रसाद के रूप में बांटते हैं।

वैदिक ज्योतिष में शरद पूर्णिमा का महत्व

चंद्रमा को मन और जल का नियंत्रक माना जाता है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणें समुद्र की लहरों और मानव शरीर के जल तत्व पर विशेष प्रभाव डालती हैं। इस दिन शिवलिंग पर दूध और जल अर्पण करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।

शरद पूर्णिमा की शुभकामनाएँ

शरद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन की बाधाओं को दूर कर स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख प्राप्त किया जा सकता है।

आपको शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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