Kartik Snan and kartik Purnima 2024
कार्तिक स्नान 2024: महत्व और अनुष्ठान
कार्तिक स्नान हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि (पूर्णिमा के दिन) पर किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह कार्तिक मास में मनाया जाता है, जो अंग्रेजी कैलेंडर में अक्टूबर से नवंबर के बीच आता है। कार्तिक स्नान 2024 में 17 अक्टूबर, गुरुवार से शुरू होकर 15 नवंबर, शुक्रवार तक चलेगा।
कार्तिक मास का महत्व:
कार्तिक मास हिंदू धर्म में पवित्र और शुभ माना जाता है। इसे शास्त्रों और पुराणों में उल्लेख किया गया है, जिसमें पद्म पुराण, स्कंद पुराण और नारद पुराण का विशेष उल्लेख है। ऐसा माना जाता है कि इस मास में किए गए धार्मिक कार्य और स्नान से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
Kartik Snan and kartik Purnima 2024 |
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कार्तिक स्नान के अनुष्ठान:
- पवित्र नदी में स्नान: कार्तिक स्नान का सबसे प्रमुख अनुष्ठान पवित्र नदियों या जलाशयों में स्नान करना है। इस दिन भक्त सूर्योदय से पहले उठकर धार्मिक स्नान करते हैं। यदि गंगा में स्नान संभव न हो, तो किसी भी नजदीकी जल स्रोत में स्नान किया जा सकता है।
- व्रत और पूजा: कुछ भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। व्रत के दौरान एक ब्राह्मण को भोजन कराना शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा और हवन किया जाता है।
- दीपदान: कार्तिक स्नान के अवसर पर मंदिरों में दीप जलाना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। शिव, सूर्य और चंद्र देव के मंदिरों में दीप जलाना अश्वमेध यज्ञ के समान फलदायी होता है। इसके अलावा, अन्य प्रकार के दान भी किए जा सकते हैं।

कार्तिक स्नान का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व:
कार्तिक स्नान से जुड़ी धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध कर पृथ्वी को सुरक्षित किया था। इस समय स्नान और धार्मिक कार्य करने से न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि शारीरिक और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी, कार्तिक मास में सुबह स्नान करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और बीमारियों से रक्षा होती है।
कार्तिक पूर्णिमा क्या है
कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि (पूर्ण चंद्रमा की रात) को मनाया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दिन को धार्मिक दृष्टि से बहुत शुभ माना जाता है, और विशेष रूप से गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है।
कार्तिक पूर्णिमा को “देव दीपावली” के रूप में भी मनाया जाता है, जब वाराणसी और अन्य तीर्थ स्थलों पर दीप जलाए जाते हैं। इसे भगवान विष्णु के अवतार, मत्स्य अवतार के साथ भी जोड़ा जाता है। श्रद्धालु इस दिन व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा की पूजा विधि:
कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है और इस दिन की पूजा विधि भी बहुत खास होती है। इसे सही तरीके से करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जाती है:
- प्रातःकाल स्नान:
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदियों (गंगा, यमुना, सरस्वती आदि) में स्नान करने का विशेष महत्व है। यदि आप नदी के पास नहीं हैं, तो घर में स्नान करके पवित्र जल (गंगाजल) को स्नान जल में मिलाकर स्नान करें। - स्नान के बाद संकल्प:
स्नान के बाद भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा का संकल्प लें। इस दिन व्रत रखने का भी विधान है। आप अपने सामर्थ्य के अनुसार निर्जल या फलाहार व्रत कर सकते हैं। - भगवान विष्णु और शिव की पूजा:
घर के मंदिर को साफ करें और विष्णु भगवान तथा शिव जी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाएं।
धूप, दीप, फूल, चंदन, अक्षत, फल और नैवेद्य अर्पित करें।
विष्णु सहस्रनाम या विष्णु स्तोत्र का पाठ करें।
शिवजी के लिए “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
तुलसी के पत्ते और बिल्वपत्र अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है।
- दीपदान:
इस दिन का एक प्रमुख कर्म दीपदान है। सूर्यास्त के बाद दीपक जलाकर पवित्र नदी में प्रवाहित करें या घर के बाहर दीप जलाएं। वाराणसी में इस दिन को “देव दीपावली” के रूप में भी मनाया जाता है। - भजन-कीर्तन और कथा:
शाम के समय भगवान विष्णु और भगवान शिव की आरती करें और भजन-कीर्तन का आयोजन करें।
भगवान के अवतारों की कथा सुनना और सुनाना भी पुण्यकारी माना जाता है।
विशेष रूप से, भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की कथा का श्रवण किया जाता है।
- दान-पुण्य:
इस दिन दान का विशेष महत्व होता है। वस्त्र, अनाज, धन, और जरूरतमंदों को भोजन कराना पुण्यकारी माना जाता है। गाय, ब्राह्मण और गरीबों को यथाशक्ति दान दें। - अन्न ग्रहण:
व्रत का समापन पूजा के बाद संध्या के समय किया जा सकता है। ध्यान रहे कि व्रत की समाप्ति से पहले सात्विक भोजन का ही सेवन करें।
कार्तिक पूर्णिमा का दिन आत्मिक शुद्धि और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए बहुत ही पवित्र माना गया है, और इसकी पूजा विधि व्यक्ति के आस्था और श्रद्धा के अनुसार सरलता से की जा सकती है।

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