Varuthini Ekadashi Dates 2024-2030

Varuthini Ekadashi Dates 2024-2030

वरूथिनी एकादशी 2024 से 2030: महत्व, तिथि और पूजन विधि

वरूथिनी एकादशी का महत्व
वरूथिनी एकादशी का पर्व हिन्दू धर्म में अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। इसे पापों से मुक्ति और धर्मिक लाभ प्राप्त करने का एक उत्तम अवसर माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। वरूथिनी एकादशी को विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित किया गया है।

Varuthini Ekadashi Dates 2024-2030
Varuthini Ekadashi Dates 2024-2030

वरूथिनी एकादशी कब मनाई जाएगी? (2024-2030)

यहां हमने 2024 से 2030 तक वरूथिनी एकादशी की तिथियों को बताया है:

  • 2024: 21 अप्रैल, रविवार
  • 2025: 10 अप्रैल, गुरुवार
  • 2026: 30 अप्रैल, गुरुवार
  • 2027: 19 अप्रैल, सोमवार
  • 2028: 7 अप्रैल, शुक्रवार
  • 2029: 26 अप्रैल, गुरुवार
  • 2030: 15 अप्रैल, सोमवार

वरूथिनी एकादशी का महत्व और लाभ

वरूथिनी एकादशी का पालन करने से व्यक्ति न केवल पापों से मुक्त होता है, बल्कि उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस व्रत को करने से दान और धर्म के लाभ भी प्राप्त होते हैं। इसके अलावा, यह व्रत व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्रदान करता है।

वरूथिनी एकादशी की पूजन विधि

  1. स्नान और संकल्प: व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
  2. भगवान विष्णु की पूजा: भगवान विष्णु की मूर्ति को साफ करके उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं।
  3. धूप, दीप और फूल अर्पित करें: भगवान विष्णु को धूप, दीप और पीले फूल अर्पित करें।
  4. विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें: विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  5. भोग लगाएं: भगवान को ताजे फल, मिठाई और तुलसी के पत्ते अर्पित करें।
  6. रात्रि जागरण करें: इस दिन रात्रि जागरण और भगवान विष्णु के भजन करना चाहिए।
  7. जप और ध्यान:
    भगवान विष्णु के मंत्र जैसे “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें।

वरूथिनी एकादशी व्रत के नियम

  • व्रत के दिन अनाज और तामसिक भोजन का त्याग करें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें और किसी भी प्रकार के झूठ, क्रोध और अन्य बुरी आदतों से बचें।
  • जरूरतमंदों को दान करें और भगवान विष्णु के नाम का जप करें।
  • झूठ बोलने और गलत कर्मों से दूर रहें।मन, वचन और कर्म को पवित्र बनाए रखें।व्रत के दिन भगवान विष्णु की कथा और भजन का आयोजन करें।

वरूथिनी एकादशी व्रत कथा

वरूथिनी एकादशी की कथा के अनुसार, एक समय राजा मान्धाता ने इस व्रत का पालन किया। भगवान विष्णु की कृपा से राजा ने अपने पापों से मुक्ति पाई और मोक्ष को प्राप्त किया। यह कथा यह सिखाती है कि यदि व्यक्ति सच्चे मन से व्रत का पालन करता है, तो उसे भगवान विष्णु की कृपा अवश्य मिलती है।

वरूथिनी एकादशी व्रत का आध्यात्मिक महत्व

यह एकादशी व्रत व्यक्ति को आंतरिक शांति और आत्मिक शुद्धि प्रदान करता है। यह व्रत न केवल पापों को नष्ट करता है बल्कि व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और खुशहाली लाता है।

वरूथिनी एकादशी का समापन और पारण

वरूथिनी एकादशी व्रत का समापन द्वादशी तिथि पर होता है। अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। पारण के समय भगवान विष्णु का स्मरण और तुलसी जल ग्रहण करना चाहिए।

वरूथिनी एकादशी का फल

वरूथिनी एकादशी व्रत से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है, जो स्वास्थ्य समस्याओं, आर्थिक कठिनाइयों या मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं।

Varuthini Ekadashi Dates 2024-2030

निष्कर्ष

वरूथिनी एकादशी व्रत का पालन व्यक्ति को धर्म, मोक्ष और मानसिक शांति प्रदान करता है। इस व्रत को पूरे विधि-विधान और श्रद्धा से करने पर भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सभी समस्याओं का समाधान मिलता है। यदि आप 2024 से 2030 तक के वरूथिनी एकादशी व्रत की तिथियों के अनुसार इस पर्व को मनाएंगे, तो निश्चित ही आपके जीवन में सकारात्मकता और खुशहाली आएगी। Varuthini Ekadashi Dates 2024-2030

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