7 Key Facts About Ananta Chaturdashi 2024-2030

7 Key Facts About Ananta Chaturdashi 2024-2030

अनंत चतुर्दशी: महत्त्व, पूजा विधि और तिथियां (2024 – 2030)

अनंत चतुर्दशी का पर्व हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन गणपति विसर्जन के साथ जुड़ा हुआ है, जो गणेश चतुर्थी के दसवें दिन आता है। अनंत चतुर्दशी को भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है, जिसमें लोग अनंत सूत्र बांधते हैं और भगवान से सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। इस दिन विशेष रूप से अनंत भगवान की पूजा की जाती है, जिन्हें संपूर्ण ब्रह्मांड का रचयिता माना जाता है।

7 Key Facts About Ananta Chaturdashi 2024-2030
7 Key Facts About Ananta Chaturdashi 2024-2030

अनंत चतुर्दशी का महत्त्व

अनंत चतुर्दशी का आध्यात्मिक और धार्मिक दोनों ही दृष्टियों से विशेष महत्त्व है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की आराधना की जाती है। साथ ही, यह दिन गणेश उत्सव का समापन भी है, जब लोग धूमधाम से गणपति बप्पा का विसर्जन करते हैं। इसे खासतौर पर जीवन में समृद्धि और बाधाओं के निवारण के लिए मनाया जाता है।

पूजा विधि

अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा के लिए लोग प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करते हैं। पूजा स्थल को साफ कर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित की जाती है। फिर, धूप, दीप, पुष्प और नैवेद्य से भगवान की पूजा की जाती है। इस दिन विशेष रूप से अनंत सूत्र धारण करने का रिवाज है, जो पुरुष दाहिनी कलाई और महिलाएं बाईं कलाई में बांधती हैं। अनंत सूत्र में 14 गांठें होती हैं, जो 14 लोकों का प्रतीक मानी जाती हैं।

गणपति विसर्जन

गणेश चतुर्थी से प्रारंभ होने वाले गणेशोत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है। इस दिन गणेश जी की मूर्तियों का विसर्जन धूमधाम से किया जाता है। विसर्जन के दौरान भक्तजन ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयकारे लगाते हैं और उन्हें अगले वर्ष फिर से आने का निवेदन करते हैं।

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अनंत चतुर्दशी की तिथियां (2024 – 2030)

यहाँ आने वाले वर्षों में अनंत चतुर्दशी की तिथियों का विवरण दिया गया है:

  • अनंत चतुर्दशी 2024: 18 सितंबर
  • अनंत चतुर्दशी 2025: 7 सितंबर
  • अनंत चतुर्दशी 2026: 26 सितंबर
  • अनंत चतुर्दशी 2027: 15 सितंबर
  • अनंत चतुर्दशी 2028: 3 सितंबर
  • अनंत चतुर्दशी 2029: 22 सितंबर
  • अनंत चतुर्दशी 2030: 12 सितंबर

अनंत चतुर्दशी व्रत का महत्त्व:

अनंत चतुर्दशी व्रत को अत्यधिक पुण्य देने वाला माना जाता है। इस दिन व्रत करने से सभी कष्टों का निवारण होता है और व्यक्ति को जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है। इस व्रत का पालन करने वाले भक्त अनंत भगवान से अपने जीवन के सभी दुखों को समाप्त करने की प्रार्थना करते हैं।

व्रत कथा

अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत भगवान की कथा सुनना अत्यंत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि सतयुग में, राजा सुषेण की पत्नी शीला ने इस व्रत को किया था और इससे उन्हें अपने सारे कष्टों से मुक्ति मिली थी। अनंत चतुर्दशी व्रत की कथा को सुनने और इसे करने से व्यक्ति को दीर्घायु, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

अनंत सूत्र का महत्त्व

अनंत सूत्र बांधने का रिवाज इस पर्व का एक मुख्य अंग है। यह सूत्र एक रक्षासूत्र की तरह कार्य करता है, जो व्यक्ति को बुरी शक्तियों से बचाता है और उसके जीवन में सुख-शांति और धन-धान्य की वृद्धि करता है। इस धागे में 14 गांठें होती हैं, जो 14 भुवनों (लोकों) का प्रतीक मानी जाती हैं।

अनंत चतुर्दशी का समापन

इस पर्व का समापन अनंत भगवान की आरती और भजन-कीर्तन से किया जाता है। इसके बाद भक्तजन अनंत सूत्र को अपनी कलाई में बांधते हैं और भगवान विष्णु से अपने जीवन में अनंत सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। गणेश जी के विसर्जन के बाद, भक्तजन भगवान विष्णु से जीवन की सभी कठिनाइयों को दूर करने की कामना करते हैं।

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निष्कर्ष

अनंत चतुर्दशी का पर्व हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व रखता है। यह दिन भगवान विष्णु और गणेश जी की पूजा के साथ जुड़ा हुआ है, जिससे जीवन में समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। अनंत सूत्र का धारण और अनंत भगवान की आराधना से व्यक्ति के जीवन में शुभता और समृद्धि का आगमन होता है।

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