Pongal Festival 2025
पोंगल 2025, 2026 और 2027: तिथि, महत्व और उत्सव
पोंगल एक पारंपरिक दक्षिण भारतीय फसल उत्सव है, जिसे हिंदू कैलेंडर के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है। यह मुख्य रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पुदुचेरी जैसे राज्यों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। पोंगल का उत्सव चार दिनों तक चलता है और यह जनवरी के मध्य में आयोजित होता है, जब किसान अपनी फसल काट चुके होते हैं और वर्षा ऋतु का अंत हो जाता है।
पोंगल 2025 से 2027 तक तिथियां
वर्ष | तिथि | दिन | छुट्टी | राज्य |
---|---|---|---|---|
2025 | 14 जनवरी | मंगलवार | पोंगल | PY & TN |
2025 | 15 जनवरी | बुधवार | पोंगल | AP & TG |
2026 | 14 जनवरी | बुधवार | पोंगल | AP, PY, TG & TN |
2027 | 15 जनवरी | शुक्रवार | पोंगल | AP, AR, PY & TN |
पोंगल का महत्व
भारत का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण और कृषि-आधारित समाज है, जहां यह त्योहार विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। पोंगल मुख्य रूप से नई फसल के आगमन और मौसम के परिवर्तन का उत्सव है। इस दौरान किसान अपनी फसलों की अच्छी पैदावार के लिए भगवान सूर्य और अन्य देवताओं को धन्यवाद देते हैं। पोंगल शब्द तमिल शब्द “पोंगा” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “उबालना”। यह शब्द समृद्धि और उन्नति का प्रतीक है, जो इस त्योहार की भावना को दर्शाता है – फसलों की भरपूर पैदावार और खुशहाली।
पोंगल के चार दिन
1. भोगी पोंगल
पोंगल के पहले दिन को “भोगी पोंगल” कहा जाता है, जो भगवान इंद्र की पूजा के लिए समर्पित होता है। इंद्र को वर्षा के देवता के रूप में पूजा जाता है, जिनकी कृपा से फसलें उगती हैं। इस दिन लोग पुराने और बेकार सामानों को जलाते हैं, जिससे नए साल में नवीकरण और स्वच्छता का प्रतीक माना जाता है। गांवों और घरों में बड़े अलाव जलाए जाते हैं, जिसके चारों ओर लड़कियां पारंपरिक गीत गाती और नृत्य करती हैं।
2. सूर्य पोंगल
दूसरे दिन को “सूर्य पोंगल” कहा जाता है, जो भगवान सूर्य को समर्पित होता है। इस दिन एक विशेष पूजा की जाती है, जिसमें चावल को मिट्टी के बर्तन में दूध के साथ उबालकर भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता है। चावल के साथ हल्दी का उपयोग भी किया जाता है, जो पिछले दिन तैयार की जाती है। इसके साथ ही, गन्ना, नारियल और केले जैसी पारंपरिक सामग्री भी अर्पित की जाती है। लोग पारंपरिक परिधान पहनते हैं और अपने घरों के बाहर सुंदर रंगोली बनाते हैं।
3. मट्टू पोंगल
तीसरे दिन को “मट्टू पोंगल” के नाम से जाना जाता है, जो गायों और बैलों को समर्पित होता है। इस दिन किसान अपने मवेशियों को सजाते हैं, उनके सींगों को रंगते हैं और उन्हें मोती, घंटियों और फूलों की मालाओं से सजाते हैं। मवेशियों को अच्छे से खिलाया जाता है और गांवों में उत्सव के रूप में उनका सम्मान किया जाता है। इस दिन बैल दौड़ और अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।
4. कन्नुम पोंगल
पोंगल के चौथे और अंतिम दिन को “कन्नुम पोंगल” कहा जाता है। इस दिन परिवार की महिलाएं हल्दी के पत्ते पर मिठाई पोंगल, गन्ना और केले रखकर पूजा करती हैं। इस दिन बहनें अपने भाइयों की समृद्धि और खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं। यह दिन पारिवारिक एकता और रिश्तों को मजबूत करने का प्रतीक है।
पोंगल का सांस्कृतिक महत्व
पोंगल केवल एक फसल उत्सव नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक और पारिवारिक एकता का भी प्रतीक है। यह समय नई फसल के साथ खुशियां मनाने, भगवान को धन्यवाद देने और परिवार के साथ समय बिताने का होता है। इस त्योहार में प्रकृति और पशुधन का सम्मान भी किया जाता है, जो दक्षिण भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
पोंगल 2025 के लिए तिथियां
वर्ष | तिथि | दिन | छुट्टी | राज्य |
---|---|---|---|---|
2024 | 15 जनवरी | सोमवार | पोंगल | AP, AR, PY & TN |
2023 | 15 जनवरी | रविवार | पोंगल | AP, AR, PY, TG & TN |
इस चार दिवसीय पर्व में लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर आनंद उठाते हैं, पारंपरिक व्यंजन बनाते हैं और भगवान सूर्य और इंद्र का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। पोंगल दक्षिण भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जो देशभर में फसल और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
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Pongal Festival 2025 | Pongal Festival 2025