Akshaya or Amla Navami 2024
आंवला नवमी अथवा अक्षय नवमी 2024
तिथि: 10 नवंबर 2024
पूजा मुहूर्त: 6:40 AM से 12:05 PM तक (कुल समय: 5 घंटे 25 मिनट)

आंवला नवमी का महत्व
आंवला नवमी (अक्षय नवमी) का त्योहार विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है और इसे परिवारिक सुख, संतान प्राप्ति और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन महिलाएं विशेष रूप से आंवले के पेड़ की पूजा करती हैं और पारंपरिक कथाओं का पालन करती हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने गोकुल छोड़कर मथुरा की यात्रा की थी, जो उनके जीवन के एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है।
आंवला नवमी की कथा
आंवला नवमी / अक्षय नवमी कथा
आंवला नवमी, जिसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन विशेष रूप से आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास होता है और इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने से सुख, समृद्धि, और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
प्राचीन समय की बात है, एक नगर में बहुत ही गरीब ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहते थे। दोनों बहुत धर्मिक और भगवान के भक्त थे। गरीबी के बावजूद ब्राह्मण और उसकी पत्नी हर संभव कोशिश करते थे कि वे दान-पुण्य कर सकें। लेकिन जब उनकी स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई और उन्हें भोजन का भी संकट झेलना पड़ा, तब ब्राह्मण की पत्नी ने उनसे कहा, “हम भगवान की पूजा तो करते हैं, परंतु हमें कभी फल नहीं मिलते। हमें कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे हमारे कष्ट दूर हो जाएं।”
ब्राह्मण ने सोचा कि इस समय कार्तिक मास चल रहा है, और इस मास में भगवान विष्णु की विशेष पूजा का महत्व है। उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवले के पेड़ की पूजा करने से सभी कष्ट दूर हो सकते हैं। यह सुनकर ब्राह्मणी ने आंवले के पेड़ की पूजा करने का संकल्प लिया।

आंवला नवमी के दिन ब्राह्मणी ने विधिपूर्वक आंवले के पेड़ की पूजा की। पूजा समाप्त करने के बाद उसने पेड़ के नीचे भोजन किया। भगवान विष्णु उसकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उसे वरदान दिया कि उसकी दरिद्रता समाप्त हो जाएगी। कुछ समय बाद ब्राह्मण और उसकी पत्नी को धन और समृद्धि की प्राप्ति हुई। इसके बाद उन्होंने आंवले के पेड़ की पूजा को और भी विधिपूर्वक करना प्रारंभ किया, और उनकी संतान, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रही।
इस कथा के अनुसार, आंवला नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा और उसके नीचे भोजन करने से जीवन में कभी धन और सुख की कमी नहीं होती। यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का एक विशेष अवसर माना जाता है।
इस प्रकार आंवला नवमी का व्रत और पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, और जीवन में धन, धान्य, और सुख-शांति बनी रहती है।
पूजा विधि (Puja Vidhi)
- आंवले का पौधा, तुलसी के पत्ते, कलश, कुमकुम, हल्दी, सिंदूर, चावल, नारियल, सूत का धागा, श्रृंगार का सामान, साड़ी, दान के लिए अनाज।
- पूजा विधि:
- महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और साफ कपड़े पहनती हैं।
- आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है और उसी के पास भोजन किया जाता है। पूरा परिवार या मित्र मिलकर इस पूजा को पिकनिक के रूप में मनाते हैं।
- आंवले के वृक्ष की परिक्रमा का विशेष महत्व है, और वृक्ष को दूध चढ़ाया जाता है।
- 8 या 108 बार परिक्रमा की जाती है, जिसमें महिलाएं अपनी पसंदीदा वस्तुएं जैसे चूड़ियाँ, सिंदूर आदि चढ़ाती हैं।
- कथा सुनने के बाद, सभी लोग मिलकर भोजन करते हैं।
- गरीबों को अनाज, श्रृंगार का सामान और अन्य वस्तुएं दान दी जाती हैं।
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