karva chauth festival 2024

karva chauth festival 2024

करवा चौथ 2024 की तारीख और समय


2024 में करवा चौथ रविवार, 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी। व्रत सूर्योदय से शुरू होकर चंद्रमा के दर्शन तक जारी रहता है, जो रात लगभग 7:54 बजे दिखाई देगा। स्थान के अनुसार यह समय थोड़ा भिन्न हो सकता है।

इतिहास और उत्पत्ति


करवा चौथ, जिसे करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, का उल्लेख हिंदू पौराणिक कथाओं में मिलता है। एक कहानी के अनुसार, महाभारत में सावित्री ने मृत्यु के देवता यमराज से अपने पति की आत्मा को वापस मांगा था। दूसरी कथा द्रौपदी से जुड़ी है, जब उन्होंने कृष्ण के सुझाव पर अपने पति अर्जुन की सुरक्षा के लिए कठोर व्रत रखा, जो ध्यान और साधना के लिए नीलगिरी गए थे।

महत्व


यह पर्व पति की दीर्घायु और समृद्धि के लिए समर्पित है, जिसमें महिलाएं सूर्योदय से चंद्रमा के दर्शन तक निर्जला व्रत रखती हैं, यानी बिना अन्न और जल ग्रहण किए। करवा चौथ मुख्य रूप से उत्तर और पश्चिमी भारत में मनाया जाता है और यह पत्नी की अपने पति के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।

क्षेत्रीय उत्सव


पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में इस दिन का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। बाजारों में रंग-बिरंगी सजावट होती है, महिलाएं पारंपरिक कपड़े और गहने पहनती हैं, और मिठाइयों का लेन-देन किया जाता है, जो इस पर्व की खुशी को और बढ़ा देता है।

करवा चौथ पूजा विधि

  1. सामग्री तैयार करें:

थाली (पूजा की थाली)

करवा (मिट्टी या पीतल का बर्तन)

दीपक, धूप, कपूर, चावल, सिंदूर, रोली, जल का लोटा

फल, मिठाई, नारियल, पान के पत्ते

मिट्टी या चांदी की माता पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति या चित्र

छलनी (चाँद को देखने के लिए)

  1. करवा चौथ का व्रत:

सूर्योदय से पहले सरगी (सास द्वारा दी गई भोजन) खाकर व्रत शुरू करें।

पूरा दिन बिना अन्न-जल के व्रत रखें।

संध्या के समय, जब चंद्रमा निकलने का समय नजदीक हो, पूजा की तैयारी करें।

  1. पूजा की शुरुआत:

स्वच्छ कपड़े पहनें और पूजा स्थल को साफ करें।

मिट्टी के करवा को सजाएं और उसमें जल भरें।

थाली में सभी पूजा सामग्री जैसे चावल, सिंदूर, रोली, दीपक आदि रखें।

माता पार्वती, भगवान शिव, गणेशजी और करवा देवी की पूजा करें। उन पर सिंदूर, चावल और फूल चढ़ाएं।

  1. कथा सुनें:

करवा चौथ की कथा को सुनें या पढ़ें। यह कथा व्रत की महिमा और करवा चौथ के महत्व को बताती है।

  1. चाँद को देखकर पूजा:

जब चाँद निकल आए, छलनी से चाँद को देखें और चाँद को अर्घ्य दें।

चाँद के दर्शन के बाद पति के दर्शन करें।

पति के हाथ से पानी पीकर व्रत तोड़ें और भोजन ग्रहण करें।

  1. आशीर्वाद लें:

पूजा समाप्त होने के बाद सास और परिवार के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।

घर की सुख-समृद्धि और पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करें।

यह विधि पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ करने से व्रत का पूरा फल मिलता है

करवा चौथ की कथा

प्राचीन समय की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी, जिसका नाम था वीरवती। वीरवती अपने भाइयों की बहुत लाड़ली थी। शादी के बाद वीरवती ने पहला करवा चौथ का व्रत रखा। उसने निर्जला व्रत रखा, लेकिन दिनभर भूखी-प्यासी रहने के कारण उसकी तबीयत खराब होने लगी। उसे भूख और प्यास सहन नहीं हो रही थी, जिससे वह बेहोश होने लगी। उसके भाइयों को अपनी बहन की यह हालत देखकर बहुत दुख हुआ और वे चाहते थे कि उनकी बहन व्रत तोड़ दे। उन्होंने एक योजना बनाई। भाइयों ने एक पेड़ पर चढ़कर छलनी की आड़ में एक दीपक जलाकर उसे दिखाया और कहा, “देखो, चंद्रमा निकल आया है। अब तुम अपना व्रत तोड़ सकती हो।” वीरवती ने भाइयों की बात पर विश्वास करके चंद्रमा समझकर अर्घ्य दिया और अपना व्रत तोड़ दिया।

व्रत तोड़ते ही उसे बुरी खबर मिली कि उसका पति मर चुका है। यह सुनकर वीरवती बहुत दुखी हो गई और उसने सच्चे मन से प्रार्थना की। उसकी श्रद्धा और भक्ति से माता पार्वती प्रकट हुईं और उसे बताया कि उसके भाइयों ने छल से चंद्रमा दिखाकर व्रत तुड़वाया था, जिससे उसके पति की मृत्यु हो गई। माता पार्वती ने उसे करवा चौथ का व्रत सही विधि से करने का आदेश दिया और कहा कि यदि वह पूरी निष्ठा से पुनः इस व्रत को करे तो उसका पति जीवित हो जाएगा।वीरवती ने पूरे नियम और विधि के साथ करवा चौथ का व्रत रखा और उसकी भक्ति और श्रद्धा से उसका पति फिर से जीवित हो गया। तब से यह व्रत पति की लंबी उम्र और सौभाग्य के लिए किया जाता है।

इस कथा को सुनने या सुनाने से व्रत का पूर्ण फल मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ

आपका वैवाहिक जीवन प्रेम, विश्वास और सुख-समृद्धि से भरा रहे। माता पार्वती और भगवान शिव से प्रार्थना है कि आपके पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य बना रहे।
करवा चौथ की शुभकामनाएं!

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