Sanchi Stupa Kahan Hai​

Sanchi Stupa Kahan Hai​ | सांची स्तूप कहाँ है |

परिचय (Overview)

सांची स्तूप एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल है, जो मध्य प्रदेश, भारत में स्थित है। इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है। इसकी स्थापत्य कला और ऐतिहासिक महत्ता इसे विशेष बनाती है। Sanchi Stupa Kahan Hai​

खुलने और बंद होने का समय व तिथियां (Open Close Timing and Dates)

समयखोलने का समयबंद होने का समय
सोमवार6:30 AM6:30 PM
मंगलवार6:30 AM6:30 PM
बुधवार6:30 AM6:30 PM
गुरुवार6:30 AM6:30 PM
शुक्रवार6:30 AM6:30 PM
शनिवार6:30 AM6:30 PM
रविवार6:30 AM6:30 PM

यहाँ कैसे पहुंचें? (Location and How to Reach)

साधनमार्ग
हवाईनिकटतम एयरपोर्ट भोपाल
रेलनिकटतम रेलवे स्टेशन सांची
सड़कभोपाल से लगभग 46 किलोमीटर

सांची स्तूप मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है। यह भोपाल से लगभग 46 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए आप हवाई, रेल और सड़क मार्ग का उपयोग कर सकते हैं। भोपाल हवाई अड्डा निकटतम एयरपोर्ट है, और सांची रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है। Sanchi Stupa Kahan Hai​

इतिहास (History)

सांची स्तूप एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है जो मध्य प्रदेश, भारत में स्थित है। यह स्थल बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है और इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है। सांची स्तूप का निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक के शासनकाल में हुआ था। यह स्थल अपनी अद्वितीय स्थापत्य कला और ऐतिहासिक महत्ता के कारण विशेष रूप से देखा जाता है।

इस स्तूप का मुख्य आकर्षण इसका महास्तूप है, जो यहाँ का सबसे बड़ा और पुराना स्तूप है। इसके अलावा, यहाँ कई अन्य स्तूप, मठ और ऐतिहासिक संरचनाएं भी स्थित हैं, जो बौद्ध धर्म के अनूठे वास्तुशिल्प का परिचय कराते हैं।

सांची स्तूप भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है, जहाँ आकर आप भारतीय इतिहास और संस्कृति की गहराईयों को समझ सकते हैं। सांची स्तूप का निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक के शासनकाल में हुआ था। इसे बौद्ध धर्म के महत्त्वपूर्ण केंद्र के रूप में जाना जाता है। इस स्थल पर कई स्तूप, मठ और अन्य ऐतिहासिक संरचनाएं हैं जो बौद्ध वास्तुकला की उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

निर्माणकर्ता कौन हैं? (Created By)

सांची स्तूप को सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनवाया था। उन्होंने इसे अपनी पत्नी देवी के कहने पर बनवाया था, जो सांची की निवासी थीं। सांची स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में किया था. यह स्तूप बौद्ध धर्म के प्रमुख समर्थक और भूपति सम्राट अशोक द्वारा निर्मित था1. अशोक का शासनकाल 268 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व तक था, और उन्होंने बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए कई संरचनाएं निर्मित कीं.

अशोक की पत्नी देवी ने इस स्थान का चयन किया, जो विदेशी व्यापारी की बेटी थी और सांची की निवासी थी. अशोक ने सांची स्तूप को बौद्ध धर्म के प्रचार और प्रसार के उद्देश्य से बनवाया था1.

अशोक के शासनकाल के दौरान, उन्होंने अपने शासन क्षेत्र में बौद्ध धर्म को प्रोसारित करने के लिए कई संरचनाएं निर्मित कीं, जिनमें सांची स्तूप भी शामिल है. इसके अलावा, उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान अन्य भूगोलीय स्थानों पर भी बौद्ध मंदिर और स्तूप निर्मित किए, जैसे कि बारहहू, सारनाथ, और कुशीनगर Sanchi Stupa Kahan Hai​

इस स्थान के बारे में 5 प्रमुख जानकारियां (Top 5 Facts About the Same Place)

  1. यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल:
    सांची स्तूप को 1989 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया। यह मान्यता इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर बनाती है। सांची स्तूप का निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक द्वारा किया गया था, और यह बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार का प्रमुख केंद्र रहा है। यहाँ की स्थापत्य कला और ऐतिहासिक महत्व इसे दुनिया भर में प्रसिद्ध बनाते हैं। यूनेस्को की इस मान्यता ने सांची को वैश्विक स्तर पर और भी महत्वपूर्ण बना दिया है और इसे संरक्षित करने के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं। यहाँ पर हर साल हजारों पर्यटक आते हैं, जो इस ऐतिहासिक धरोहर का आनंद लेते हैं और इसके इतिहास से परिचित होते हैं।
  2. स्तूप 1 (महास्तूप):
    सांची का प्रमुख स्तूप, जिसे महास्तूप भी कहा जाता है, यहाँ का सबसे बड़ा और पुराना स्तूप है। यह स्तूप बौद्ध धर्म के स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है और इसे तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनवाया गया था। महास्तूप का व्यास लगभग 36 मीटर है और इसकी ऊँचाई लगभग 16 मीटर है। इस स्तूप के चारों ओर चार तोरण (गेटवे) हैं, जो उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम दिशाओं में स्थित हैं। ये तोरण सुंदर नक्काशी और मूर्तिकला से सुसज्जित हैं, जो बौद्ध कथाओं और जीवन की घटनाओं को चित्रित करते हैं। महास्तूप का केंद्रीय भाग एक अंडाकार संरचना है, जिसके ऊपर एक छत्र है, जो बौद्ध धर्म में सम्मान का प्रतीक है।
  3. सम्राट अशोक:
    सांची स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक द्वारा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए किया गया था। सम्राट अशोक का शासनकाल 268 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व तक था, और उन्होंने बौद्ध धर्म को अपने साम्राज्य में व्यापक रूप से प्रचलित किया। अशोक ने अपने शासनकाल के दौरान कई बौद्ध संरचनाएं बनवाईं, जिनमें सांची स्तूप प्रमुख है। अशोक के शासनकाल में बौद्ध धर्म ने महान ऊँचाइयाँ प्राप्त कीं और उन्होंने धर्म प्रचार के लिए धम्म यात्रा की। अशोक ने बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को अपनाकर अपने शासन में अहिंसा और धर्म की नीति को प्रोत्साहित किया। उनकी शासनकाल की प्रमुख विशेषता उनकी धर्मशिलाएं हैं, जिन पर बौद्ध धर्म के सिद्धांत और उनकी शिक्षाओं का वर्णन किया गया है।
  4. प्राचीन अवशेष:
    सांची स्तूप के आसपास के क्षेत्र में खुदाई के दौरान अनेक प्राचीन अवशेष और शिलालेख प्राप्त हुए हैं। ये अवशेष और शिलालेख हमें बौद्ध धर्म और उस समय की सभ्यता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। यहाँ पर मिले अवशेषों में स्तूप के टुकड़े, तोरणों के हिस्से, और प्राचीन मूर्तियाँ शामिल हैं। इन अवशेषों की नक्काशी और शिल्पकला बहुत ही उत्कृष्ट है, जो तत्कालीन कारीगरों की कुशलता को दर्शाती है। सांची स्तूप के शिलालेख भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनमें सम्राट अशोक और अन्य बौद्ध सम्राटों के समय की जानकारियाँ मिलती हैं। ये शिलालेख हमें बौद्ध धर्म के विकास और विस्तार की कहानी बताते हैं।
  5. पर्यटक आकर्षण:
    सांची स्तूप भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। यहाँ की अद्वितीय स्थापत्य कला, ऐतिहासिक महत्ता और सुंदर वातावरण इसे विशेष बनाते हैं। पर्यटक यहाँ आकर बौद्ध धर्म के इतिहास और संस्कृति की गहराईयों को समझ सकते हैं। सांची स्तूप का शांतिपूर्ण वातावरण और प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। यहाँ पर आने वाले पर्यटक स्तूप की उत्कृष्ट नक्काशी और शिल्पकला का आनंद लेते हैं और इसके इतिहास से जुड़ी रोचक कहानियों को जानते हैं। सांची स्तूप का दौरा करना एक अद्वितीय अनुभव होता है, जो भारतीय संस्कृति और इतिहास की समृद्ध धरोहर को दर्शाता है। Sanchi Stupa Kahan Hai​

यहां क्यों जाना चाहिए? (Why Should I Go Here?)

सांची स्तूप एक अद्वितीय धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है। यहाँ आकर आप भारतीय इतिहास और संस्कृति की गहराईयों को समझ सकते हैं। इसके अलावा, यहाँ की शांतिपूर्ण वातावरण और सुंदर वास्तुकला मनमोहक हैं। Sanchi Stupa Kahan Hai​

इस स्थान के अन्य नाम (Other Names of the Same Place)

सांची स्तूप को महास्तूप और महान स्तूप के नाम से भी जाना जाता है।

सारांश (Summary)

सांची स्तूप एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो सम्राट अशोक द्वारा तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनवाया गया था। यह बौद्ध धर्म के महत्त्वपूर्ण केंद्र के रूप में जाना जाता है और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। यहाँ की अद्वितीय स्थापत्य कला और ऐतिहासिक महत्ता इसे देखने लायक बनाते हैं। Sanchi Stupa Kahan Hai​

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