Ahoi Ashtami Dates 2024-2030 Guide

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अहौई अष्टमी

अहौई अष्टमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जिसे मुख्य रूप से माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और उनकी सुरक्षा के लिए मनाती हैं। यह त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। अहौई अष्टमी व्रत विशेष रूप से उन महिलाओं द्वारा रखा जाता है जिनके बच्चे हैं, और इस दिन माताएं उपवास रखकर अहोई माता की पूजा करती हैं। यह व्रत करवा चौथ के ठीक बाद आता है, और इसे दिवाली से कुछ दिन पहले मनाया जाता है। आइए, इस महत्वपूर्ण त्योहार के बारे में और जानकारी लें और जानें कि अगले कुछ वर्षों में अहौई अष्टमी कब-कब पड़ेगी।

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अहौई अष्टमी का महत्व

अहौई अष्टमी का व्रत माताओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन महिलाएं अहोई माता की पूजा करती हैं और अपने बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान की आयु लंबी होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। पूजा के दौरान महिलाएं अहोई माता की तस्वीर या चित्र के सामने दीप जलाकर कथा सुनती हैं और अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं।

अहौई अष्टमी पूजा विधि

इस दिन माताएं प्रातः स्नान कर शुद्ध कपड़े पहनती हैं और अहोई माता की पूजा का संकल्प लेती हैं। पूजा के लिए मिट्टी या दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाया जाता है या फिर उनकी छवि को लकड़ी के पटरे पर रखा जाता है। पूजा के समय चांदी की अहोई भी बनाई जाती है और पूजा के दौरान उसे जल, रोली, चावल और दूध से स्नान कराया जाता है। अहोई माता की पूजा के बाद महिलाएं अपनी संतान की कुशलता के लिए व्रत की कथा सुनती हैं। दिनभर का उपवास संतान की भलाई के लिए किया जाता है और शाम को तारों के दर्शन के बाद व्रत खोला जाता है।

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अहौई अष्टमी की तिथियां (2024 – 2030)

आने वाले कुछ वर्षों में अहौई अष्टमी की तिथियां निम्नलिखित हैं:

  • 2024: 20 अक्टूबर, रविवार
  • 2025: 9 नवंबर, रविवार
  • 2026: 29 अक्टूबर, गुरुवार
  • 2027: 18 अक्टूबर, सोमवार
  • 2028: 7 नवंबर, मंगलवार
  • 2029: 27 अक्टूबर, शनिवार
  • 2030: 16 अक्टूबर, बुधवार

अहौई अष्टमी व्रत की कथा

अहौई अष्टमी व्रत की एक प्रचलित कथा है जो महिलाओं द्वारा इस दिन सुनाई जाती है। कहा जाता है कि एक बार एक महिला अपने बच्चों के साथ जंगल में लकड़ी काटने गई थी। लकड़ी काटते समय उसने गलती से एक शेर के बच्चे को मार दिया। इस दुर्घटना के बाद महिला को काफी पछतावा हुआ और उसने अपनी संतान की सुरक्षा के लिए अहोई माता की पूजा शुरू की। अहोई माता के आशीर्वाद से उसकी संतानों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ और तभी से इस व्रत को संतान की सुरक्षा के लिए रखा जाने लगा।

अहौई अष्टमी से जुड़े अन्य रीति-रिवाज

अहौई अष्टमी के दिन महिलाएं अपने घरों में अहोई माता का चित्र बनाकर या उसकी छवि स्थापित कर विशेष पूजा करती हैं। पूजा के समय विशेष प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं और महिलाएं तारे देखने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन महिलाएं अहोई माता की कथा सुनने के साथ-साथ अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों को प्रसाद बांटती हैं। यह व्रत एकता और परिवार के प्रति प्रेम का भी प्रतीक माना जाता है।

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  • अहोई अष्टमी की तिथियां
  • अहोई अष्टमी व्रत कथा
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  • अहोई अष्टमी पूजा विधि
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निष्कर्ष

अहौई अष्टमी माताओं के लिए एक ऐसा त्योहार है जो उनकी संतान के लिए विशेष रूप से समर्पित होता है। इस दिन की पूजा और व्रत से संतान के जीवन में खुशहाली और लंबी उम्र की कामना की जाती है। यह त्योहार हिंदू धर्म में मातृत्व और संतान के प्रति निःस्वार्थ प्रेम का प्रतीक है।

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